इंदौर । जंगल से लगे गांवों में तेंदुओं की हलचल अचानक बढ़ गई है। चार महीनों के भीतर इंदौर रेंज में पांच से छह मर्तबा तेंदुए को देखा गया है। अब वन विभाग हरकत में आ चुका है। इनकी संख्या पता लगाने के लिए दो टीमों बनाई है, जो पैरों के निशान लेगी। उधर वाइल्ड लाइफ विशेषज्ञों के मुताबिक लॉकडाउन की वजह से लोगों की आवाजाही बंद रही। प्रदूषण कम होने से पर्यावरण में बदलाव दिखा। जो वन्यप्राणियों के लिए अच्छे संकेत है।
जुलाई से लेकर नवंबर के बीच नयापुरा, रालामंडल अभयारण्य और उज्जैनी-उमरिया गांव में तेंदुए नजर आए हैं। रविवार को तेंदुए का रेस्क्यू करने के बाद ग्रामीणों ने इनकी संख्या अधिक होना बताया, जिसमें एक मादा अपने दो शावकों के साथ घूमना बताया। यहां तक जंगलों से लगे गांवों में इनकी गतिविधियां बढ़ने की बात कही। सूत्रों के मुताबिक ग्रामीणों ने वनकर्मियों को शिकारियों के संक्रिय होने के बारे में बताया। वरिष्ठ अधिकारियों के निर्देश पर उमरिया गांव से लगे जंगल के आस-पास अब कैमरों से तेंदुए पर नजर रखी जाएगी। विभाग ने चार स्थान पर इन्हें लगाने का तय किया है। वन अफसरों अब संख्या पता लगाने पर जोर दिया है। इंदौर रेंज को दो टीमों में बांटा है, जिन्हें तेंदुओं के पैरों के निशान लेने को कहा गया है। यहां तक जंगल में उनकी मौजूदगी दर्शाने के लिए अन्य प्रमाण भी लिए जाएंगे।
तीन साल पहले थे 12 तेंदुए
2016-17 में वन विभाग ने वन्यप्राणियों की गणना करवाई थी। अकेले इंदौर रेंज में पगमार्क यानी पैरों के निशान के आधार पर 12 तेंदुएं जंगल में होना सामने आया था। ये देवगुराडिया, केम्पल, उज्जैनी, रणभंवर, सिमरोल, उमरीखेड़ा, कजलीगढ़ समेत कई क्षेत्रों में देखे गए। वाइल्डलाइफ एक्सपर्ट योगेश यादव का कहना है कि अप्रैल से जुलाई के बीच लोगों की आवाजाही बिल्कुल बंद थी। जिससे वन्यप्राणियों का मूवमेंट बढ़ गया, जो जंगलों से निकलकर आसपास के गांवों में नजर आने लगे। यहां तक शहरी सीमा में भी दिखे।
सूचना तंत्र बढ़ाने पर जोर
गांव और शहरी सीमा में तेंदुए दिखाई दे रहे हैं। इसके लिए उनकी गतिविधियों पर नजर रखी जाएगी। कुछ स्थानों पर कैमरे लगाए है। यहां तक शिकारियों की हरकत को बता लगाने के लिए सूचना तंत्र बढ़ा रहे हैं। ग्रामीणों को भी इसमें मदद ले रहे हैं।
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