सिंधी समाज में गुड़, तिल्ली, परमल, नारियल, चने से बनी पट्टी का दीपावली की पूजा में विशेष महत्व है। उनकी यह जरूरत 1947 में विभाजन के दौरान पाक से आया एक परिवार 73 साल से पूरी कर रहा है। 65 साल की सीता बाई ठारानी इसकी मुखिया हैं। उनके साथ उनकी बहू मुस्कान, सिमरन, बेटे राकेश, अशोक और आसपास के महिला-पुरुष काम संभालते हैं। सीताबाई ने बताया पूरा परिवार सालभर यही पटिट्यां बनाता है। ठेला लगाकर इन्हें बेचते भी हैं।
बिना पट्टी के नहीं होती है दिवाली की पूजा
सिंधी कॉलोनी व्यापारी संघ के अध्यक्ष गोपाल कोडवानी ने बताया कि दिवाली पूजन में परिवार में जितने पुरुष होते हैं, उतने ही पटियों पर पट्टियों की दुकान सजाते हैं। माना जाता है ऐसा करने से हर पुरुष की अलग दुकान होगी।
गिफ्ट के लिए चॉकलेट भी घर पर बना रहीं
सिंधी कॉलोनी में अनीता तलरेजा, अंजलि, मोनिका, प्रियंका ने घर पर ही चॉकलेट बनाना शुरू किया है। दिवाली पर गिफ्ट के रूप में इसे तैयार कर रही हैं। होम मेड चॉकलेट के लिए वाट्सएप नंबर भी जारी किया है।
प्रसाद जैसी शुद्धता रखते हैं
सीताबाई बताती हैं कि पटि्टयां शुद्ध प्रसाद की तरह तैयार करते हैं। यें इतनी प्रसिद्ध हो चुकी हैं कि शहर के अलावा प्रदेश के दूसरे जिलों के लोग भी दीपावली पूजन के लिए ले जाते हैं। इसके भाव भी 200 रुपए किलो से ज्यादा नहीं होते हैं, जबकि मिठाई की कीमत इससे ज्यादा होती
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