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जानिए कैसे बनी गंगा हमारी राष्ट्रीय नदी; मोदी से पहले मनमोहन सिंह ने शुरू कर दिया था गंगा की सफाई पर काम


आज भले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए गंगा और नमामि गंगे बहुत महत्वपूर्ण परियोजनाएं हों, पर यह जानना जरूरी है कि इस पर काम पहले ही शुरू हो गया था। 2008 में 4 नवंबर को मनमोहन सिंह की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने गंगा को राष्ट्रीय नदी घोषित किया। इसके साथ ही नदी को प्रदूषण और अन्य समस्याओं से मुक्त करने के लिए उच्च अधिकार प्राप्त गंगा नदी घाटी प्राधिकरण गठित करने का फैसला लिया था।


गंगा के लिए पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने 1985 में ही गंगा कार्ययोजना शुरू कर दी थी। फॉलोअप के तौर पर मनमोहन सिंह सरकार ने इसे राष्ट्रीय नदी का दर्जा दिया। 2008 में यह फैसला भी हुआ था कि गंगा नदी घाटी प्राधिकरण के अध्यक्ष प्रधानमंत्री होंगे। जिन राज्यों से गंगा नदी बहती है, उनके मुख्यमंत्री इसके सदस्य होंगे। यानी एक तरह से मनमोहन सिंह के कार्यकाल में ही गंगा नदी पर काम को गति मिली। 2014 में सरकार बदली और नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री बने तो उन्होंने गंगा नदी को लेकर जोर-शोर से काम शुरू कर दिया। इसमें 20 हजार करोड़ रुपए के बजट से फ्लैगशिप प्रोग्राम नमामि गंगे भी शामिल है।


नमामि गंगे केंद्र सरकार की एक योजना है, जिसका उद्देश्य गंगा नदी के प्रदूषण को कम करना और नदी को पुनर्जीवित करना है। इसके लिए केंद्र सरकार ने गंगा कायाकल्प के नाम से अलग से विभाग भी बनाया। इस परियोजना के तहत दिसंबर 2021 तक पहले चरण में विश्व बैंक से 4,535 करोड़ रुपए मंजूर हो चुके हैं। मिशन के तहत 25,000 करोड़ रुपये की 313 परियोजनाओं को मंजूरी मिली है। मार्च 2020 तक इसमें से सिर्फ 116 पूरी हो पाई थीं। डेडलाइन दिसंबर 2020 की है।


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