- जानिए कि पूरी रीति से विवाह करने के बाद भी उसका पंजीयन करवाना और प्रमाणपत्र बनवाना क्यों ज़रूरी है।
विवाह एक सामाजिक आयोजन होता है, जिसमें वर और वधू पक्ष के रिश्तेदारों के साथ ही समाज के प्रतिष्ठित लोगों की मौजूदगी होती है। इस दौरान धार्मिक रीति-रिवाज़ निभाए जाते हैं। अत: इस रिश्ते को स्वत: ही सामाजिक मान्यता मिल जाती है। लेकिन नए ज़माने में, जब विभिन्न सरकारी योजनाओं का लाभ लिया जा रहा है और दूसरी तरफ़ विवाह विच्छेद या धोखाधड़ी की घटनाएं बढ़ गई हैं, शादी का पंजीयन कराना और प्रमाणपत्र प्राप्त करना वर और वधू, दोनों के हित में है। यह धार्मिक-पारंपरिक तरीक़े और विशेष विवाह अधिनियम के अंतर्गत, दोनों तरह से की गई शादियों के लिए ज़िला विवाह पंजीयक द्वारा जारी किया जाता है।
कहां पड़ती है ज़रूरत
- जॉइंट बैंक खाता खुलवाने, पासपोर्ट बनवाने, बीमा लेने और यदि दंपती ट्रैवल वीज़ा या किसी देश में स्थायी निवास के लिए आवेदन करता है, तो विवाह प्रमाण पत्र काफ़ी मददगार साबित होता है।
- अगर महिला शादी के बाद नाम नहीं बदलना चाहती, तो शादी से संबंधित सभी क़ानूनी अधिकार और फ़ायदे दिलाने में प्रमाणपत्र सहायता करता है।
- दंपती में से कोई एक शादी के बाद धोखा देकर भाग जाता है, तो ऐसे में प्रमाणपत्र की मदद से पुलिस थाने में रिपोर्ट आसानी से दर्ज करा सकते हैं। तलाक़ के लिए अपील करने या गुज़ाराभत्ता लेने में भी इससे आसानी होती है।
ऐसे बनवाएं प्रमाणपत्र
- फ़िलहाल कोविड-19 के चलते प्रमाणपत्र के लिए पंजीकरण कराने की सुविधा ऑनलाइन कर दी गई है। ऑनलाइन मैरिज सर्टिफ़िकेट फॉर्म के साथ कुछ ज़रूरी दस्तावेज़ों को भी अपलोड करना पड़ता है।
- जिन गांवों में इसकी सुविधा नहीं है, वहां शादी के पंजीकरण के लिए नवदंपती को ग्राम अधिकारी के कार्यालय में संपर्क कर कुछ ज़रूरी दस्तावेज़ जमा करने होते हैं।
- ऑनलाइन और प्रत्यक्ष, इन दोनों विकल्पों में वर और वधू दोनों का अलग-अलग पासपोर्ट साइज़ का फोटो, विवाह की फोटोग्राफ, वर और वधू का आईडी प्रूफ, दोनों के जन्म दिनांक को सत्यापित करने के लिए आवश्यक दस्तावेज़ (जन्म प्रमाणपत्र / ड्राइविंग लाइसेंस / आधार कार्ड / अंकसूची), वर-वधू का शपथपत्र, पहले और दूसरे गवाह के पते के आईडी प्रूफ़ आदि
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