- हरी सब्जियां- पहले आवक सिर्फ 150 मीट्रिक टन थी, अब यह 300 तक पहुंच गई
- 300 मीट्रिक टन हो गई टमाटर की आवक, यानी दोगुनी; 250 मीट्रिक टन है आलू की आवक पहले 200 थी
सब्जी मार्केट में प्याज आलू समेत सभी हरी सब्जियों के दाम भी तेजी से नीचे आ रहे हैं। महज पांच दिनों में आलू और करेला को छोड़कर प्याज समेत सभी हरी सब्जियों के दाम 25% से लेकर 70% तक घट गए हैं। प्याज के दामों में अचानक गिरावट का कारण मप्र सरकार द्वारा लगाई गई स्टॉक लिमिट को माना जा रहा है। लेकिन नासिक से प्याज की आवक दोगुनी होने से भी दाम एकदम से कम हुए हैं।
सब्जी विक्रेता कहते हैं कि शीत ऋतु में हर साल हरी सब्जियों की भरपूर आवक होती है। इसलिए ग्राहकों को इस सीजन में पूरे साल से कम दामों पर सब्जियां मिलती हैं। इस बार मानसून के देरी से विदा होने के कारण स्थानीय फसलों के आने में देरी हुई। पूरे अक्टूबर में इस बार हरी सब्जियों की स्थानीय आवक कम थी। ज्यादातर हरी सब्जियां महाराष्ट्र और राजस्थान से आ रहीं थी। इसके उलट दूसरे राज्यों में फसलें खराब होने के कारण प्याज यहां से बाहर भेजी जा रही थी। इसलिए सभी सब्जियों के दाम अक्टूबर में आसमान पर थे। हालांकि नवंबर के पहले हफ्ते में स्थितियों में तेजी से बदलाव आ रहा है। रतलाम की तरह खंडवा भी प्रदेश का प्रमुख सब्जी उत्पादक क्षेत्र बन गया है।
प्याज की आवक....90 मीट्रिक टन से बढ़कर 350 मीट्रिक टन
बाहरी राज्यों से मांग का दबाव होने के कारण राजधानी का केवल 90 मीट्रिक टन प्याज ही बाजार में आ रहा था। शेष प्याज बाहर भेजा जा रहा था। लेकिन 5 नवंबर को स्थानीय मंडी में 350 मीट्रिक टन प्याज आया। इसमें 80% तक प्याज स्थानीय बाजारों में आया। केवल 20% प्याज ही भोपाल से लगे दूसरे क्षेत्रों में गया।हरी सब्जियां... रतलाम, खंडवा और बैतूल से आ रहीं हैं, इसलिए रेट कम
अक्टूबर में प्याज भारी मात्रा में बाहर जा रहा था। टमाटर समेत दूसरी हरी सब्जियां महाराष्ट्र, राजस्थान और गुजरात से मंगाई जा रहीं थी। इसलिए सबके दाम आसमान पर थे। अब प्याज जहां बाहर से आने लगा है, वहीं हरी सब्जियां रतलाम, खंडवा और बैतूल से आ रहीं हैं। इसलिए एकदम से दाम कम हो गए हैं।
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