रिपब्लिक मीडिया नेटवर्क के प्रधान संपादक Arnab Goswami को रायगढ़ की पुलिस ने सुबह आठ बजे उनके मुंबई स्थित घर से गिरफ्तार कर लिया। उन्हें 2018 के आत्महत्या के लिए उकसाने के एक मामले में गिरफ्तार किया गया है। अर्नब की जमानत पर देर रात तक अलीबाग कोर्ट में सुनवाई हुई। बाद में उन्हें 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया। जज के अनुसार 2019 में बंद हो चुके इस मामले की जांच पुनः शुरू करने के लिए पुलिस ने कोर्ट की अनुमति नहीं ली। अर्नब की गिरफ्तारी की चौतरफा निंदा हो रही है। महाराष्ट्र के तीन सत्तारूढ़ दलों को छोड़कर भाजपा समेत अन्य सभी दलों ने गिरफ्तारी की कड़े स्वर में निंदा की है। एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया और न्यूज ब्रॉडकास्टर्स एसोसिएशन (एनबीए) ने अर्नब गोस्वामी की गिरफ्तारी की निंदा की है। मई, 2018 में रायगढ़ के अलीबाग में एक वास्तुविद की आत्महत्या के मामले में रायगढ़ पुलिस बुधवार सुबह 6.30 बजे ही अर्नब के घर पहुंच गई। रिपब्लिक टीवी के अनुसार, अर्नब के घर में घुसने से पहले पुलिस ने पूरे इलाके को चारों तरफ से घेर लिया था। पुलिस के हाथों में एके-47 राइफलों जैसे हथियार थे।
उनके वकील का दावा है कि गिरफ्तारी के समय अर्नब को बेल्ट पकड़कर खींचा गया और उनकी रीढ़ की हड्डी पर प्रहार किया गया। पहले से चोटिल उनके एक हाथ पर भी प्रहार किया गया। पुलिस वैन में बैठे अर्नब ने भी कहा कि पुलिस ने उनके घर में घुसकर उनके बेटे को मारा और उन्हें उनके सास-ससुर से नहीं मिलने दिया। गिरफ्तारी के बाद अर्नब को रायगढ़ के अलीबाग पुलिस थाने ले जाया गया। अर्नब को अलीबाग की कोर्ट में शाम साढ़े पांच बजे पेश किया गया। लगभग पांच घंटे चली सुनवाई के बाद भी उन्हें जमानत नहीं मिल सकी। बाद में उन्हें 14 दिन की न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया गया।
Abhay Pratap
अगर आपने 1975 का इंदिरा गांधी वाला वो आपातकाल नहीं देखा था जिसका शिवसेना ने समर्थन किया तो आज इसकी एक झलक महाराष्ट्र में देख लीजिए..!!
अर्नब की सिर्फ गिरफ्तारी ही नहीं की गई है बल्कि उनको बाल पकड़कर घसीटा गया है, उनकी व उनके बेटे की पिटाई की गई, तब गिरफ्तार किया है अर्नब को..!!
राष्ट्र व धर्म की बुलंद आवाज उठाने वाले अर्नब के साथ ये बर्ताव उस सोनिया व शरद पवार के आशीर्वाद से उस शिवसेना ने किया है जो हिंदुत्व का आवरण ओढ़े रहने का दावा करती है..!!
अर्नब देश की आवाज है.. अगर ये आवाज कुचल दी गई तो तुम भी नहीं बच पाओगे. अर्नब का साथ देना ही होगा..!!
मुंबई पुलिस द्वारा रिपब्लिक न्यूज़ नेटवर्क के प्रधान संपादक अर्नब गोस्वामी को 2018 के बंद केस को पुनः खोलकर गिरफ्तार करना भारतीय पत्रकारिकता के लिए दुखद और बेहद शर्मनाक है। यह और कुछ नहीं, महाराष्ट्र के लोकतंत्र पर आने वाले खतरे का संकेत है। बिना किसी सम्मन, दस्तावेज या अदालत के कागजात के अर्नब पर शारिरिक हमला करना और गिरफ्तार कर लेना साफ़ दर्शाता है कि मुंबई पुलिस ने बदले की भावना से ऐसा किया है।
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