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सेल्फ-हेल्प:जीवन में कितने महत्वपूर्ण हैं आपके मूल्य, आपका स्वाभिमान, शब्द और किस्से


मूल्य....


प्रेम और भलाई को जितना फैलाएंगे ये उतना ही बढ़कर वापस आएंगे


ऑस्ट्रियन साइकोएनालिसिस के प्रवर्तक सिगमंड फ्रॉयड कहते थे 'यदि किसी व्यक्तित्व में प्रेम न हो तो वह बीमार होकर मर जाएगा।' प्रेम समझदारी, साख और दूसरों के लिए सम्मान का भाव पैदा करता है। आप प्रेम और भलाई को जितना अधिक फैलाएंगे, आपके पास ये बढ़कर वापस आएगा। यदि आप अपने साथी के अहंकार को चोट पहुंचाकर उसकी स्वयं के बारे में बनी छवि को धक्का पहुंचाते हैं तो आप कभी उससे सद्भावनापूर्ण व्यवहार प्राप्त नहीं कर सकेंगे। दुनिया का हर व्यक्ति प्रेम और प्रशंसा पाना चाहता है। जब आप अपने व्यवहार में सतर्कता बरतते हैं तो आप वास्तव में दूसरे व्यक्ति की छवि को आकार देते हैं जिसके फलस्वरूप आपका प्रेम और सदभावना आपके पास प्रत्युत्तर के रूप में आता है।


शब्द....


बोलने से भी बढ़ता है आत्मविश्वास


आप जितना ज्यादा बोलते हैं आपका आत्मविश्वास उतना ही ज्यादा बढ़ता है और आपके लिए अगली बार बोलना आसान हो जाता है। इसलिए बोलने की आदत डालें। आत्मविश्वास बढ़ाने के लिए यह आदत मददगार साबित होती है। हर मीटिंग में बोलने का नियम बना लें। आप जिस बिज़नेस वार्ता, कमिटी मीटिंग, कम्युनिटी फोरम में भाग लें, उसमें अपने आप ही कुछ कहें। कोई टिप्पणी करें, कोई सुझाव दें, कोई सवाल पूछें। आखिर में कभी ना बोलें। सबसे पहले बोलने की आदत डालें। मूर्ख दिखने के बारे में चिंता करना बेकार है। आप मूर्ख नहीं दिखेंगे। चाहे अगला आदमी आपसे सहमत न हो तो भी कोई बात नहीं, कोई अन्य व्यक्ति आपसे जरूर सहमत होगा।


स्वाभिमान....


आत्मसम्मान का एक ही स्रोत है और वो हैं आप


हम खुद का जितना सम्मान करते हैं लोग उसी अनुपात में हमारा सम्मान करते हैं। अगर आप खुद को फर्स्ट क्लास मानते हैं तो दूसरे भी आपके प्रति फर्स्ट क्लास सम्मान दिखाएंगे। लेकिन यदि आपकी खुद के बारे में खराब राय है तो आपको सम्मान शायद ही मिलेगा। आत्मसम्मान का एक ही स्रोत है और वो स्रोत आप ही हैं। कई लोगों में आत्मसम्मान की कमी नकारात्मक माहौल की वजह से होती है। गहरे आत्मसम्मान का प्रदर्शन करना और दूसरों की प्रशंसा व सम्मान हासिल करना लोगों के लिए चुनौती है। समाज में आत्मसम्मान की कमी बड़े पैमाने पर है। जो लोग सार्वजनिक मंच पर बोलते हैं वे साबित करते हैं कि उनमें आत्मसम्मान है। भले ही आप उनकी कही बातों से सहमत ना हों लेकिन फिर भी आप व अन्य लोग उनका सम्मान करेंगे कि उनमें बोलने की हिम्मत है। जब आत्मसम्मान में कमी आने लगे तो याद कीजिए कि आप दुर्लभ हैं, आपकी जरूरत है और आपको एक उदाहरण बनना है।


किस्से.....


कल्पना को वास्तविकता से जोड़ती है कहानी


बेहतरीन वक्ता चीजों को ज्यादा रोचक बनाने और अपने श्रोताओं के साथ संबंध जोड़े के लिए कहानियां सुनाते हैं। कहानी बताना समूहों के साथ तालमेल हासिल करने में खास उपयोगी होता है। कहानियां सभी तरह के लोगों को आकर्षित करती हैं। कहानियों से सीखना ज्यादा आसान होता है क्योंकि जानकारी पहले से जमी-जमाई आती है और इसमें सोच-विचार की कोई जरूरत नहीं होती। जब आप कहानी सुनाने वाले व्यक्ति पर विश्वास करेंगे और उनके शब्द आपको समझदारी भरे लगेंगे तो आपकी कल्पना उस कहानी का बाहें खोलकर स्वागत करेगी। कहानियां कल्पना को सुलगा देती हैं और इंद्रियों को आकर्षित करती हैं। यह हमारी आंतरिक कल्पना को बाहरी वास्तविकता के साथ जोड़ने का एक तरीका भर है।


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