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जन सुनवाई:10 महीने बाद निगम में जन बिना सुनवाई, कलेक्टोरेट में दो घंटे में 160 शिकायतें आईं

 

जनसुनवाई में इस बार सभी आवेदनों को स्कैन किया गया।

कलेक्टर कार्यालय में करीब दस महीने बाद एक बार फिर जनसुनवाई प्रारंभ हुई। कोरोना प्रोटोकॉल का पालन करते हुए जनसुनवाई की प्रक्रिया में कई बदलाव किए गए। एडीएम और एसडीएम ने अपने-अपने कक्ष में सुनवाई की वहीं सभाकक्ष में अपर कलेक्टर पवन जैन और मयंक अग्रवाल सहित अन्य अधिकारियों ने आवेदन लिए।

पहली बार शिकायती आवेदनों को स्कैन कर आवेदक को रसीद दी गई। तल मंजिल पर समाधान केंद्र में आने के बाद आवेदकों को बताया गया कि उन्हें कौन से कक्ष में आवेदन लेकर जाना है। सीमित संख्या में आवेदकों को अधिकारियों के समक्ष भेजा गया। कुल 160 आवेदन आए, जिसमें सहकारिता, नगर-निगम, अतिक्रमण और पारिवारिक मामलों की शिकायतें थीं।

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  • सुनवाई सुबह 11 से दोपहर 1 बजे तक चली। सबसे पहले पहुंचे आवेदक श्रीराम परिहार ने शिकायत की कि रहवासी तीन दिन से उन्हें ठेला नहीं लगाने दे रहे। वे ठेला लगाने के एवज में रुपए मांगते हैं। दो महीने पहले उनके बेटे की मौत के बाद चार बच्चों के पालन की जिम्मेदारी उन्हीं पर है।
  • मंगलवार को नगर निगम में भी जनसुनवाई थी, लेकिन शिकायत लेकर कोई नहीं पहुंचा। सुबह 11 बजे से अपर आयुक्त एस. कृष्ण चैतन्य, शृंगार श्रीवास्तव, देवेंद्र सिंह, संदीप सोनी अपने कक्षों में पहुंच गए। आमजन की तरफ से एक भी शिकायतकर्ता नहीं पहुंचा। दोपहर 12.30 बजे निगमायुक्त प्रतिभा पाल के पास दो कर्मचारी अपनी बहाली करवाने का आवेदन लेकर पहुंचे।
  • सोनगुराड़िया से आई वृद्धा ने बेटे-बहू की शिकायत की। वृद्धा ने बताया बेटे-बहू उन्हें अपने ही घर में नहीं रहने देते। वृद्धा के बेटे-बहू ने भी शिकायत की कि उनकी मां ने घर में किराएदार रख लिए हैं।
  • गांधी नगर गृह निर्माण संस्था के पीड़ितों ने भी शिकायत की। सैकड़ों प्लॉट बेचने के बाद भी कब्जा नहीं दिया जा रहा। संस्था के कर्ताधर्ता बैकलेन, सड़कों और बगीचों पर भी प्लॉट काट रहे हैं। शिकायत लेकर आए करण सिंह नायक के मुताबिक संस्था प्रबंधक ने शासकीय भूमि पर भी कब्जा किया है।


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