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चार गांवों के 121 किसान 1100 एकड़ जमीन सरकार को सौंपेंगे; योजना के पहले पायलट प्रोजेक्ट

 

प्रतीकात्मक फोटो

  • 100 से ज्यादा उद्योग लगेंगे, 10 हजार को मिलेगा रोजगार
  • देश में किसानों की सहमति से जमीन लेकर औद्योगिक क्षेत्र विकसित करने के लिए पहली लैंडपूल स्कीम पीथमपुर में लागू हो रही है। योजना के पहले पायलट प्रोजेक्ट के रूप में चार गांवों अंबापुरा, सलमपुर, कालीबिल्लौद व रणमलबिल्लौद के 121 किसान 1100 एकड़ जमीन करार कर सरकार को सौंपेंगे। बदले में किसानों को मुआवजा राशि का 20 फीसदी (95 करोड़ रु.) खाते में दिए जाएंगे और शेष 80 फीसदी राशि विकसित प्लॉट के रूप में तीन साल में दी जाएगी। बड़ी राहत यह भी है कि यदि किसान को रुपए की जरूरत है तो वह करार के आधार पर ही जमीन किसी को बेचने का सौदा कर सकता है और राशि ले सकता है। जमीन करार खरीदने वाले की हो जाएगी।

    प्रोजेक्ट से किसान, शासन, उद्योगपति तीनों को लाभ

    प्रोेजेक्ट में यदि किसानों को पूरा मुआवजा देना होता तो पहले चरण के लिए ही शासन पर 475 करोड़ का बोझ आता। लेकिन इस नई लैंडपूल स्कीम में किसान को तत्काल 20 फीसदी मुआवजा राशि नकद (यह जमीन की असल कीमत का 40 फीसदी होता है, क्योंकि मुआवजा एक्ट में गाइडलाइन कीमत से डबल मुआवजा मिलता है) देना होगी, वहीं शासन 80 फीसदी राशि तीन साल में विकसित प्लॉट के रूप में देगा। किसान को तत्काल राशि मिली, वहीं विकसित प्लॉट भी। इधर, उद्योगपतियों को पीथमपुर रीजन में जमीन की कमी भी नहीं होगी।

    किसानों को 95 करोड़ के चेक मिलेंगे, यह जमीन का 20 फीसदी मुआवजा होगा
    किसान हितचिंतक समिति के अध्यक्ष पुरुषोत्तम मंत्री ने कहा पहले हमें केवल पांच लाख प्रति एकड़ मिल रहा था, लेकिन अब 65 से 70 लाख रुपए मुआवजा मिल रहा है। इसमें 12 लाख से ज्यादा तत्काल नकद हैं। बाकी का प्लाॅट। पहली नीति के खिलाफ हम सुप्रीम कोर्ट गए थे। हालांकि बीच का रास्ता निकालकर पहली नकद राशि व जमीन देने वाली मिक्स लैंडपूल स्कीम लॉन्च की गई। किसान जगदीश जोशी कहते हैं- मैं 20 बीघा जमीन दे रहा हूं, क्योंकि इस स्कीम से पीथमपुर का वास्तविक विकास होगा। वहीं, मो. एजाज का कहना है हम सभी सहमति से इसमें आए हैं, क्योंकि यह देश की पहली ऐसी स्कीम है, जिसमें किसानों के बारे में सोचा गया है। उद्योग आने से बच्चों का भविष्य भी सुरक्षित होगा।

    इस स्कीम से 50 साल तक जमीन की व्यवस्था होगी
    गुना कलेक्टर व तत्कालीन एकेवीएन एमडी कुमार पुरुषोत्तम बताते हैं इस नीति में किसान को जमीन भी मिल रही और कैश भी, यह मिक्स नीति है। पीथमपुर में औसतन हर साल 500 एकड़ जमीन सौ इंडस्ट्री लेती हैं। लैंडपूल स्कीम का पूरा प्रोजेक्ट 15 से 20 हजार एकड़ का है। इससे अगले 40-50 साल तक इंदौर रीजन में उद्योगों को जमीन की कमी नहीं होगी।

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