इंदौर में 128 बरस पहले इसे अंग्रेजी फौज और उनके परिवारों की प्रार्थना के लिए बनाया गया था। इसकी लाल रंगत के कारण इसका नाम रेड चर्च पड़ा। रंग के पीछे की कहानी भी निराली है। बताते हैं कि तब के समय में लाल और सफेद रंग की काफी ख्याति थी। जब इंदौर में चर्च बनाने की बात आई तो तय किया गया कि यहां दो चर्च बनेंगे। एक लाल रहेगा, दूसरा सफेद होगा। सबसे पहले ब्रिटिश शासनकाल की वास्तुकला आधारित रेड चर्च बनाया। इस परिसर में एक और चर्च बना है, जिसका निर्माण भारत की आजादी के बाद हुआ। यहां ईसाई समुदाय राजा के दरबार और यहां से चलने वाली ट्रेनों में सर्विस करते थे। शहर में कुल 9 चर्च हैं।
कैथोलिक समाज इस बार क्रिसमस का त्योहार सादगी के साथ मनाएगा। चर्चों में तैयारियां पूरी हो चुकी हैं। इस बार 24 दिसंबर की शाम को 5 से 7 बजे के बीच नौ कैथोलिक चर्चों में पवित्र मिस्सा बलिदान और प्रार्थना की जाएगी। इस दिन रात को प्रभु के आगमन काल पर चर्चों में रातभर विशेष आराधना नहीं होगी। बिशप चॉको के अनुसार प्रभु यीशु के जन्मदिन पर 25 दिसंबर को सुबह पूजा-अर्चना के बाद दिनभर चर्च बंद रहेंगे। रातभर आराधना नहीं होगी।
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