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कोविड-19 के सबक:महामारी का हर जगह असर; सामाजिक अशांति फैलेगी, 20 करोड़ से अधिक लोग गरीब हो जाएंगे

 

  • कोविड-19 का वर्ष: मानव इतिहास के निर्णायक मोड़ ने कई चेतावनियां और सबक सामने रखे
  • कई वर्गों को अन्याय से जूझना पड़ा, परिवर्तन और इनोवेशन की चमक ने नया रास्ता दिखाया
  • कोरोना वायरस महामारी के भयानक प्रभाव कई क्षेत्रों में सामने आए हैं। उसने अन्याय और खतरों को सामने रखा है। इसके साथ इनोवेशन की उम्मीदें जगाई हैं। इन कारणों से 2020 को ऐसे साल के रूप में याद किया जाएगा जब सब कुछ बदल गया है। महामारी सदी में एक बार होने वाली घटना है। विश्व की अर्थव्यवस्था में सात फीसदी गिरावट आई है। अनुमान है, महामारी 20 करोड़ से अधिक लोगों को भीषण गरीबी में धकेल देगी।

    बदलाव का एक अन्य कारण हो सकता है। कोविड-19 ने मानवों को चेतावनी दी है। हर वर्ष भोजन, फर के कपड़ों और अन्य कामों के लिए 80 अरब जानवरों को मार डाला जाता है। ये वायरस और बैक्टीरिया का बहुत बड़ा स्रोत हैं। ये हर दस साल या आगे-पीछे घातक जीवाणु का रूप लेते हैं। महामारी के समान जलवायु परिवर्तन भी दुनिया में तबाही मचाएगा। अगर इस समय उसकी अनदेखी की गई तो भविष्य में उसकी बहुत अधिक भारी कीमत चुकानी पड़ेगी। परिवर्तन का तीसरा कारण है, महामारी से सामने आया अन्याय। बच्चे पढ़ाई में पिछड़ गए हैं। उनमें भुखमरी बढ़ी है।

    प्रवासी कामगारों को अलग-थलग कर दिया गया। उन्हें अपने साथ बीमारी लेकर गांव लौटना पड़ा। लोग नस्ल और जाति के हिसाब से प्रभावित हुए हैं। 40 वर्षीय हिस्पेनिक मूल के अमेरिकी के कोविड-19 से मरने की आशंका उसी आयु के गोरे अमेरिकी से 12 गुना ज्यादा रही। 20 साल से कम आयु के अश्वेत ब्राजीलियों के मरने की आशंका श्वेतों के मुकाबले दो गुनी अधिक रही।

    महामारी के कारण हुआ परिवर्तन अभी शैशवकाल में है। यह भी साबित हुआ कि हेल्थ केयर जैसी परंपरागत और अनुदार इंडस्ट्री में भी बदलाव संभव है। आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस सहित नई टेक्नोलॉजी और सस्ती पूंजी के बूते इनोवेशन हर उद्योग में जगह बना रहा है। कोरोना वायरस ने यह भी बताया है कि समाज को ज्ञान का उपयोग कैसे करना चाहिए। सोचिए चीनी वैज्ञानिकों ने किस तरह महामारी फैलने से कुछ सप्ताह के भीतर सार्स-कोविड-2 के जीनोम की जानकारी दुनिया को दे दी। इस कारण बिजली की गति से वैक्सीन का आविष्कार हो सका है। महामारी ने सरकारों को नए तरीके अपनाने का रास्ता दिखाया है। सरकारों ने कोविड-19 से निपटने के लिए विभिन्न उपायों पर 73 लाख करोड़ रुपए से अधिक खर्च किए हैं। महामारी के साल की तकलीफों से कुछ बेहतर नतीजे निकल सकते हैं।

    जिन लोगों की आय कम उन्हें अधिक कठिनाई

    दुनिया ने महामारी से पैदा हुई मुश्किलों के अनुकूल होने की कोशिश की है तो कुछ हालात बदतर हुए हैं। अध्ययनों से पता लगा है कि अमेरिका में 73 लाख रुपए से अधिक वेतन वाले 60% जॉब घर से किए जा सकते हैं जबकि 29 लाख रुपए से कम तनख्वाह वाले घर से किए जाने वाले काम केवल 10% हैं। इस वर्ष बेरोजगारी बढ़ी है तो विश्व शेयर बाजार का एमएससीआई सूचकांक 11% उछला है। संयुक्त राष्ट्र का अनुमान है कि महामारी के कारण 20 करोड़ लोग बहुत ज्यादा गरीब हो जाएंगे। इन सब लोगों की तकलीफें तानाशाह शासक बढ़ा रहे हैं। इसके साथ भावी तानाशाहों ने सत्ता पर अपनी पकड़ मजबूत बनाने के लिए वायरस से फायदा उठाया है।

    असमानता के कारण विरोध तेज होगा

    अन्याय और अन्य दुष्प्रभावों के कारण पहले भी महामारियों ने सामाजिक उथल-पुथल को जन्म दिया है। अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष ने 2001-18 में 133 देशों पर नजर डालने से पाया है कि बीमारी फैलने के 14 माह बाद अशांति पैदा होती है और 24 माह बाद शिखर पर पहुंचती है। जितनी ज्यादा सामाजिक असमानता होगी उतनी अधिक अशांति फैलेगी। कोष ने एक दुष्चक्र की चेतावनी दी है। इसके तहत विरोध की हलचल से कठिनाइयां और अधिक बढ़ेंगी नतीजतन और अधिक प्रतिरोध सामने आएगा।

    कुछ सप्ताह के भीतर ही वर्षों का बदलाव हो गया

    सौभाग्य से कोविड-19 ने केवल परिवर्तन की जरूरत ही आगे नहीं बढ़ाई है, उसने रास्ता भी दिखाया है। वह इनोवेशन का एंजिन साबित हुआ है। अमेरिका में लॉकडाउन के बीच ई कॉमर्स से रिटेल बिक्री आठ सप्ताह में इतनी बढ़ गई जितनी पिछले पांच साल में बढ़ी थी। लोगों के घर से काम करने के कारण न्यूयॉर्क में लोकल ट्रेन से यात्रा 90% कम हो गई। रातों-रात दफ्तर और कारोबार घर के कमरे या रसोईघर के प्लेटफार्म से चलने लगे हैं। वैसे, इस तरह के प्रयोग को अपनाने में वर्षों लग सकते थे।

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