बरसाती नदी के रूप में जाने जानी वाली कनाड़ नदी अब बारहमासी पानी देगी। दतोदा के पास तीखी माता की पहाड़ी से निकली इस नदी में 131 शॉर्ट, चेक और बड़े डैम बनाकर 20 किलोमीटर तक पानी रोका गया है। इससे दतोदा, कनाड़, श्रीनगर, जोशी गुराड़िया, घुसीखेड़ा, चीखली सहित 31 गांवों के किसानों को फायदा होगा। यह नदी स्वतंत्र रूप से बहते हुए नर्मदा में मिलती है। नदी को पुनर्जीवित करने का काम चार एजेंसियों जनपद पंचायत महू, आईडब्ल्यूएमपी योजना, दीनदयाल रुर्बन मिशन और नागरथ चैरिटेबल ट्रस्ट ने किया है।
बता दें कि कनाड़ इंदौर जिले का सबसे ठंडा क्षेत्र है। गर्मी में यहां पानी सूख जाता था, लेकिन इस गर्मी में सभी का वाटर लेवल सामान्य रहा। इससे किसान साल की चौथी फसल भी ले सकेंगे।
लाखों क्यूबिक मीटर पानी बह जाता था
कनाड़ को बरसाती नदी कहा जाता था। इसका लाखों क्यूबिक मीटर पानी बह जाता था। अब यहां सालभर पानी रहेगा। नर्मदा नदी के उत्थान में कनाड़ नदी का भी योगदान है। नागरथ चैरिटेबल ट्रस्ट के सुरेश एमजी ने बताया कि ट्रस्ट ने अपना अस्तित्व खो रही चोरल और सूखड़ी नदी को दोबारा जिंदा किया, उसी तरह कनाड़ में भी काम किया है।
चार एजेंसियों ने इस तरह किया काम
कनाड़ नदी पुनर्जीवन के प्रयास में प्रथम चरण में जनपद पंचायत महू के सहयोग से मनरेगा में मृदा संरक्षण का काम हुआ। इसके बाद छोटी जल संरक्षण संरचनाओं का निर्माण प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना आईडब्ल्यूएमपी से हुआ। मुख्य काम अब दीनदयाल रुर्बन मिशन से 20 बड़े स्टॉप डैम बनाए जा रहे हैं। यहां 77 जल ग्रहण संरचनाएं भी हैं। रुर्बन मिशन से इस नदी के मुख्य स्टॉप डैम बनाने का काम इसमें किया जा रहा है।
दो महीने के भीतर 20 स्टॉपडैम बनाए
हमने यहां दो महीने के भीतर 20 स्टॉप डैम बनाए हैं। इससे खंडवा रोड के एक बहुत बड़े हिस्से का वॉटर लेवल ठीक होगा। -हिमांशुचंद्र, सीईओ, जिला पंचायत इंदौर
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