कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों के आंदोलन का आज 35वां दिन है। किसानों की आज दोपहर 2 बजे सरकार से बातचीत होगी। हालांकि, किसान कानून वापसी और MSP पर अलग कानून लाने की मांग पर अड़े हैं। भारतीय किसान यूनियन के नेता हरमीत सिंह कादिया ने कहा कि सभी किसान संगतें बुधवार को होने वाली बैठक को अंतिम बातचीत के तौर पर मान कर चल रहे हैं।
अपडेट्स
- किसान मजदूर संघर्ष समिति, पंजाब के जॉइंट सेक्रेटरी सुखविंदर सिंह सबरा ने कहा है कि सरकार से पिछली बैठकें बेनतीजा रहीं, आज भी कोई हल निकलने की उम्मीद नहीं है। सरकार को तीनों कृषि कानून वापस लेने चाहिए।
- भारतीय किसान यूनियन के प्रवक्ता राकेश टिकैत ने कहा है कि देश में विपक्ष का मजबूत होना जरूरी है, ताकि सरकार को डर बना रहे। लेकिन, ऐसा नहीं होने की वजह से किसानों को सड़कों पर उतरना पड़ा। कृषि कानूनों के खिलाफ विपक्ष को सड़कों पर प्रदर्शन करना चाहिए।
21 दिन बाद बातचीत
किसानों और सरकार के बीच पहले हुई 6 दौर की बातचीत बेनतीजा रही थी। आखिरी मीटिंग 8 दिसंबर को हुई थी। उसके बाद बातचीत का दौर थम गया था और किसानों ने विरोध तेज कर दिया था। ऐसे में सरकार ने 3 बार चिट्ठियां लिखकर किसानों को मीटिंग के लिए मनाने की कोशिश की। आखिर किसान बैठक के लिए तो राजी हो गए, लेकिन कहा कि चर्चा उनके एजेंडे पर ही होनी चाहिए।
शाह ने 3 मंत्रियों के साथ 2 घंटे बैठक कर स्ट्रैटजी बनाई
संयुक्त किसान मोर्चा ने बातचीत के लिए राजी होने का ईमेल मंगलवार को सरकार को भेजा। इसके बाद गृह मंत्री अमित शाह, कृषि मंत्री नरेंद्र तोमर, रेल मंत्री पीयूष गोयल और उद्योग राज्य मंत्री सोम प्रकाश ने मीटिंग कर स्ट्रैटजी बनाई। कृषि मंत्री ने शाह को बताया कि सरकार ने किसानों को क्या-क्या प्रपोजल भेजे हैं और किसानों का क्या एजेंडा है। 2 घंटे चली बैठक में चर्चा हुई कि दोनों पक्षों के एजेंडे में जो अंतर हैं, उन्हें कैसे कम किया जाए।
कृषि मंत्री की अपील- किसान खुले और साफ मन से बात करें
आखिर में तय हुआ है कि सरकार पहले अपने पुराने प्रस्ताव पर मनाने-समझाने की कोशिश करेगी। बात नहीं बनी तो कुछ और बदलाव के प्रपोजल रखे जा सकते हैं। बैठक के बाद कृषि मंत्री ने कहा कि उम्मीद है बातचीत पॉजिटिव रहेगी। उन्होंने किसानों से अपील की है कि खुले और साफ मन से बात करें, जिससे किसी नतीजे पर पहुंच सकें।
पिछली 6 बैठकें बेनतीजा रहीं
मीटिंग का दिन | क्या हुआ? |
14 अक्टूबर | मीटिंग में कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर की जगह कृषि सचिव आए। किसान संगठनों ने मीटिंग का बायकॉट कर दिया। वो कृषि मंत्री से ही बात करना चाहते थे। |
13 नवंबर | कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर और रेल मंत्री पीयूष गोयल ने किसान संगठनों के साथ मीटिंग की। 7 घंटे तक बातचीत चली, लेकिन कोई नतीजा नहीं निकला। |
1 दिसंबर | 3 घंटे बात हुई। सरकार ने एक्सपर्ट कमेटी बनाने का सुझाव दिया, लेकिन किसान संगठन तीनों कानून रद्द करने की मांग पर ही अड़े रहे। |
3 दिसंबर | साढ़े 7 घंटे तक बातचीत चली। सरकार ने वादा किया कि MSP से कोई छेड़छाड़ नहीं होगी। किसानों का कहना था सरकार MSP पर गारंटी देने के साथ-साथ तीनों कानूनों को भी रद्द करे। |
5 दिसंबर | सरकार MSP पर लिखित गारंटी देने को तैयार हुई, लेकिन किसानों ने साफ कहा कि कानून रद्द करने पर सरकार हां या न में जवाब दे। |
8 दिसंबर | भारत बंद के दिन ही गृह मंत्री अमित शाह ने बैठक की। अगले दिन सरकार ने 22 पेज का प्रस्ताव दिया, लेकिन किसान संगठनों ने इसे रिजेक्ट कर दिया। |
पंजाब के एक और किसान ने दम तोड़ा
टिकरी बॉर्डर पर चल पर प्रदर्शन में एक महीने से बैठे गांव धर्मपुरा के किसान प्यारा सिंह (75) की ठंड लगने से मौत हो गई। वे भारतीय किसान यूनियन एकता डकौंदा से जुड़े हुए थे। वहीं 24 दिसंबर को सड़क हादसे में जख्मी हुए दौदड़ा के मजदूर दर्शन सिंह की सड़क मंगलवार को मौत हो गई।
विरोध का गजब तरीका- बैक गियर में ट्रैक्टर
पंजाब में बरनाला के गांव फरवाही के दो किसान ट्रैक्टर को बैक गियर में डालकर करीब 224 किमी दूर सिंघु बॉर्डर के लिए रवाना हुए। इसके जरिए उन्होंने यह मैसेज दिया कि केंद्र सरकार भी कृषि कानूनों पर बैक गियर लगाए।
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