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शादी के 40 दिन बाद विक्रमादित्य हादसे में शहीद हुए पति, अब सेना में अधिकारी बन देश सेवा करेंगी करुणा

 

शादी के महज 40 दिन बाद युद्धपोत विक्रमादित्य में हुई आगजनी में पति छह लोगों को बचाने के बाद शहीद हो गए। ऐसा लगा जैसे सबकुछ खत्म हो गया, लेकिन देश सेवा का जज्बा ऐसा कि अब खुद थल सेना का हिस्सा बनकर दिवंगत पति को तोहफा देने जा रही हैं। देश के प्रति सेवा और समर्पण की यह कहानी मूलत: रतलाम निवासी करुणासिंह ने अपने जज्बे से लिखी है। मैकेनिकल में एमटेक करुणा के पति धर्मेंद्र सिंह चौहान 2019 में युद्धपोत विक्रमादित्य में हुए हादसे में शहीद हो गए। वैवाहिक जीवन ठीक से शुरू होने से पहले ही खत्म हो जाना बहुत बड़ा झटका था, लेकिन करुणा टूटी नहीं।

ना सिर्फ अपनी पारिवारिक जिम्मेदारियां निभाईं, बल्कि सेना में शामिल होने के लिए जी-तोड़ मेहनत भी की। चेन्नई में 11 महीनों की ट्रेनिंग के बाद करुणा जनवरी माह में बतौर लेफ्टिनेंट भारतीय थल सेना का हिस्सा बन जाएंगी। करुणा बताती हैं, पोस्ट ग्रेजुएशन के वक्त पिता गुजर गए। तब छोटा भाई 10वीं में था। तीन साल में परिवार के 4 सदस्यों को खोया। धर्मेंद्र का भी थोड़ा ही साथ मिल पाया। रतलाम में ग्रुप कैप्टन इरफान के सुझाव पर मार्च में ट्रेनिंग के लिए इंदौर आ गई। सेना की वर्दी पहनना मेरी ओर से धर्मेंद्र को शादी का सबसे अच्छा तोहफा होगा यही सोच मेहनत की जो सफल हुई।

शहीद अधिकारियों की पत्नियों को सीधे एसएसबी इंटरव्यू में बुलाती है सेना
पति की मौत के समय करुणा आगरा के कॉलेज में प्रोफेसर थीं, फिर भी सास की देखभाल के लिए रतलाम आईं। यहां छोटी ननद की शादी करवाई। आर्मी के लिए एसएसबी इंटरव्यू की तैयारी इंदौर में की। करुणा को ट्रेनिंग देने वाले रिटायर्ड कर्नल निखिल दीवानजी के अनुसार शहीद अधिकारियों की पत्नियों को सेना सीधे एसएसबी साक्षात्कार के लिए चुन लेती है। ऑफिसर्स ट्रेनिंग एकेडमी में 11 महीने की ट्रेनिंग के बाद करुणा को लेफ्टिनेंट की पोस्ट मिलेगी। चूंकि करुणा के पास टेक्नीकल डिग्री है, इसलिए वे आर्मी सर्विसेस कोर या आर्मी ऑर्डिनेंस कोर में जा सकती हैं।

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