अभी तक घर, दुकान, मकान में रखे कीमती सामान की चोरियों की वारदातें ही सामने आई है, लेकिन इन दिनों शहर से लगे आसपास के क्षेत्रों में 50-50 फीट ऊंची पहाड़ियों की चोरी शुरू हो गई। करीब 5 से ज्यादा पहाड़ियों का तो अस्तित्व ही खत्म हो गया।
अवैध खनन कर प्राकृतिक संपदा को नष्ट करने के मामले की जब पड़ताल शुरू की ताे कई घनमीटर मुरम और पत्थरों का धरती के गर्भ से निकालकर गड्ढे कर दिए। मामले में खनिज विभाग की कार्रवाई की तो अफसरों को भनक तक नहीं लगी, कैसे सड़क निर्माण कंपनी और खनिज माफियाओं ने पहाड़ियों को ही गायब कर दिया।
अधिकारियों को पता है, फिर भी कोई कार्रवाई नहीं की
प्रकृति का स्वरूप बिगाड़ने वाले अवैध खनिज माफियाओं के काले कारमानों की जानकारी खनिज विभाग के अफसरों को भी है। विभाग की टीम इस पर नजरें भी रखे हुए हैं, लेकिन लंबे समय से कोई कार्रवाई नहीं हुई। इधर, जिला खनिज अधिकारी रामसिंह उइके ने बताया कि अवैध खनन की शिकायतें आई हैं। जल्द ही प्लानिंग के साथ कार्रवाई की जाएगी।
पहाड़ी की जगह अब दीवार हो गई
कृषि उपज मंडी के पीछे ग्राम कांजा से खेड़ा पहाड़ जाने वाले रास्ते पर पहाड़ियों से ही मुरम निकालकर सड़क निर्माण किया गया। इसके बाद ग्रामीणों को झांसे में रखकर अवैध खनन करने वालों ने मुरम बेचना शुरू कर दिया। सड़क निर्माण के बाद महज तीन सालों में ही इतनी पहाड़ी कट गई कि यहां अब 20-25 फीट की दीवार नजर आने लगी।
400 मीटर की पहाड़ी हुई गायब
कलेक्टर कार्यालय के पीछे लाेंदिया रोड पर अवैध खनन करने वालों ने यहां की 400 मीटर की पूरी पहाड़ी ही गायब कर दी। अब शेष रह गए हिस्से से ही पता लगता है कि यहां कभी पहाड़ी हुआ करती थी। बड़ी बात तो यह सामने आई कि इस पहाड़ी को भी सड़क निर्माण के लिए काट दिया था। बाद में स्थानीय लोगों ने जमीन सपाट करने के लिए जमकर खनन किया।
पहले माफियाओं ने लूटा अब अतिक्रमण
पहाड़ियों को गायब करने के मामले में अवैध खनन माफियाओं के साथ ग्रामीणों ने भी कोई कसर नहीं छोड़ी। खेड़ा पहाड़ जाने वाले मुख्य रास्ते के निर्माण में आई पहाड़ी काटी गई। इसके बाद सड़क से लगे हिस्से में 50 फीट अंदर तक खुदाई कर सपाट मैदान बना दिया। अब यहां अतिक्रमण कर होटल, ढाबे संचालित किए जा रहे हैं।
सरकारी खदान पर अब हादसों का डर
लाेंदिया भालूखेड़ा रोड पर 10 साल पहले खनिज विभाग ने एक खदान की नीलामी की थी। लेकिन लीज खत्म हो जाने के बाद भी यहां से अवैध खनन होता रहा और करीब 300 मीटर लंबा गड्ढा हाे गया। सड़क किनारों से गुजरने वाले वाहन चालकाें काे हादसे का डर बना रहता है तो वहीं बारिश में इसमें पानी जमा होने से ग्रामीण बच्चों के डूबने के अंदेशे से इनकार नहीं किया जा सकता।
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