- कोचिंग क्लासेस खुली तो 700 से ज्यादा होस्टल्स को मिलेगी राहत
10वीं व 12वीं की कक्षाएं शुरू होने से कोचिंग संस्थानों के भी फिर से शुरू होने की आस जागी है। कोरोना के चलते नौ माह से शहर के छह हजार से ज्यादा छोटे-बड़े कोचिंग संस्थान बंद हैं। अगर कोचिंग संस्थान खुले तो इनके साथ-साथ 700 होस्टल से जुड़े परिवारों को भी राहत मिलेगी। साल की शुरुआत में छह हजार कोचिंग संस्थान में पांच लाख से ज्यादा विद्यार्थी पढ़ते थे।
लॉकडाउन लगा तो लगभग 50 फीसदी छात्र-छात्राएं अपने घर लौट गए। बच्चों के घर लौटने से 700 से ज्यादा होस्टल सीधे तौर पर प्रभावित हो गए। वहीं 20 फीसदी संस्थान ही बंद हो गए। कई कोचिंग संस्थानों को शहर में अपनी शाखाएं कम करनी पड़ी। देश में कोचिंग की चेन चलाने वाले एक संस्थान ने रातोरात सेंटर बंद कर दिया।
आधे छात्र लौटे ही नहीं
- 05 लाख से ज्यादा छात्र पढ़ते थे कोचिंग क्लासेस में
- 50% छात्र अपने घर चले गए लॉकडाउन में
- 2.5 लाख छात्र ही फिलहाल ऑनलाइन पढ़ रहे कोचिंग
- 20% संस्थान पूरी तरह बंद हो गए कोरोना में
50% ने ही चुना ऑनलाइन का विकल्प
कोचिंग ने पढ़ाने के लिए छात्रों को ऑनलाइन कक्षाओं का विकल्प दिया। 50 फीसदी छात्रों ने ही ऑनलाइन का विकल्प चुना। आधे से ज्यादा छात्रों के ऑनलाइनकोचिंग के कारण होस्टल-मैस भी प्रभावित
कोचिंग संस्थानों को अनुमति नहीं मिलने से सबसे ज्यादा प्रभावित होस्टल और मैस हैं। इंदौर होस्टल ऑनर्स एसोसिएशन के रवि वर्मा के मुताबिक शहर में 700 होस्टल ऐसे हैं जो संचालकों द्वारा किराए पर बिल्डिंग लेकर चलाए जाते हैं। किराए के रूप में इन्हें मोटी रकम देनी पड़ रही है।इंदौर कोचिंग ऑनर्स एसोसिएशन ने मप्र शासन से कोचिंग संस्थान के कर्मचारियों को आर्थिक मदद की मांग की है। अध्यक्ष रवि दांगी ने बताया, शहर में सब कुछ खुल चुका है लेकिन कोचिंग संस्थान बंद हैं। स्कूलों के बाद हमें भी इजाजत मिलनी चाहिए। एसोसिएशन ने दो साल तक टैक्स में 100% छूट, कोचिंग संचालन के लिए रियायती भावों पर सरकारी भवन उपलब्ध करवाने के साथ कम सैलरी पर काम करने वाले कोचिंग कर्मचारियों को आर्थिक मदद की मांग की है। पर नहीं लौटने से ज्यादातर ने शिक्षकों की भी छंटनी की।
0 टिप्पणियाँ