जीएसटी एक्ट में जोड़े नए नियम 86 बी (एक फीसदी नकद टैक्स जमा करने) को लेकर व्यापारिक संगठनों का विरोध शुरू हो गया है। अहिल्या चैंबर ने केंद्र को पत्र लिखकर इसे रद्द करने की मांग की। संगठनों का कहना है इस नियम से कारोबारियों की पूंजी फंस जाएगी जो कोरोना काल में पहले से उलझी हुई है। लोग घाटे में व्यवसाय कर रहे हैं।
चैंबर के अध्यक्ष रमेश खंडेलवाल ने कहा कि जब सरकार के पास कारोबारी की पूंजी रखी है तो उससे नकद में टैक्स क्यों लिया जाए, जबकि ऐसे समय सरकार को कारोबारियों की मदद करना चाहिए। वहीं इस मामले में यह भी तथ्य है कि यह नियम जिस माह 50 लाख से अधिक का कारोबार होगा, उसी माह लागू होगा। मध्य प्रदेश में करीब पौने चार लाख करदाता हैं। इसमें से जिनका मासिक कारोबार 50 लाख या उससे ज्यादा है, ऐसे केवल चार हजार कारोबारी ही हैं।
जाॅइंट कमिश्नर जीएसटी सुदीप गुप्ता ने कहा कि यह नियम टर्नओवर पर एक फीसदी का नहीं है। यह टर्नओवर पर बन रहे टैक्स का एक फीसदी है। यदि 60 लाख का टर्नओवर हुआ और टैक्स छह लाख के करीब बना तो उसका एक फीसदी यानी छह हजार रुपए ही नकद जमा करना होगा। यदि अधिक जमा हो जाता है तो वह अगले माह समायोजित हो जाएगा।
50 लाख से अधिक का मासिक कारोबार वाले दे सकेंगे एक फीसदी नकद : नियम 86बी में है कि यदि किसी कारोबारी का जीएसटी लागू योग्य वस्तु या सेवा का मासिक कारोबार 50 लाख से अधिक है तो उसे इस पर बनने वाले टैक्स का एक फीसदी नकद में देय करना होगा।
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