- नगर निगम को 39 करोड़ कचरा प्रबंधन शुल्क वसूलना था, 36 करोड़ वसूल लिए
स्वच्छ सर्वेक्षण में सेवन स्टार आज तक कोई शहर हासिल नहीं कर सका। चार बार से नंबर वन इंदौर के लिए भी यह सबसे बड़ी चुनौती है। कचरा प्रबंधन शुल्क की 75 प्रतिशत (घरेलू) और 90 प्रतिशत (बल्क) राशि वसूलने की सबसे जरूरी शर्त इस बार इंदौर पूरा कर रहा है, जो कोई भी शहर पिछले चार साल में नहीं कर सका। इसके मुताबिक 39 करोड़ रुपए लोगों से वसूलना थे, जबकि इंदौर 36 करोड़ वसूल चुका है। सिर्फ तीन दिन में तीन करोड़ का कचरा प्रबंधन शुल्क वसूलकर यह टारगेट इंदौर पूरा कर लेगा। इसके साथ ही ऐसे पांच काम इंदौर ने कर लिए हैं जो पंच लगाने में कारगर साबित होंगे।
अपर आयुक्त एस. कृष्ण चैतन्य ने बताया कोरोना महामारी के बावजूद इंदौर यह शर्त पूरी करने से सिर्फ एक कदम पीछे है। इंदौर में 3.45 लोगों के घरों से नगर निगम के कर्मचारी कचरा उठाते हैं। इनसे अलग-अलग रेट जोन के हिसाब से कुल 53 करोड़ रुपए कचरा प्रबंधन शुल्क बनता है। इसके 75 प्रतिशत के रूप में 39.75 करोड़ रुपए बनते हैं। इनमें से निगम द्वारा 28 दिसंबर तक 36.30 करोड़ रुपए वसूले जा चुके हैं। 31 दिसंबर तक इस टारगेट को पूरा करना शेष है। वहीं बल्क कचरा 4150 स्थानों से वसूला जाता है। इनमें से 4 हजार से ज्यादा लोगों ने राशि का भुगतान कर दिया है। इसमें भी 1.5 करोड़ रुपए की वसूली और की जानी है।
ये पांच कार्य इंदौर के सबसे बेहतर
1. सड़क से ही कचरे का सैग्रिगेशन
इंदौर में सड़कों पर झाड़ू लगाने वाले 5 हजार सफाई कर्मियों को नीले और हरे रंग के थैले बांटे गए हैं। इसका उद्देश्य सड़क पर ही झाड़ू लगने के बाद कर्मचारी इन अलग-अलग थैलों में गीला और सूखा कचरा भरें और इसी छंटनी के साथ वह गाड़ियों में जाएं। ऑन स्ट्रीट सैग्रिगेशन देश के किसी शहर में नहीं हो रहा है।
2. नदी सफाई अभियान
इसके तहत इंदौर सरस्वती नदी को सीवरेज फ्री कर चुका है। इसके साथ ही कान्ह नदी में आउट फॉल्स बंद करने का 75 प्रतिशत काम पूरा हो गया है। 15 जनवरी तक शहर के सभी छह नाले तुलसी नगर, नरवल, पीलियाखाल, आजाद नगर, पलासिया और भमौरी भी सीवरेज फ्री कर दिए जाएंगे।
3. डोर टू डोर कचरा कलेक्शन; गाड़ी में छह प्रकार का सैग्रिगेशन
इंदौर की सभी डोर टू डोर कचरा कलेक्शन गाड़ियों में छह प्रकार के कंपार्टमेंट बना दिए गए हैं। इसमें गीले और सूखे कचरे के अलावा घरेलू जैव अवशिष्ट जैसे सैनिटरी नैपकिन, डायपर, मास्क के लिए पीला डिब्बा, घरेलू हानिकारक कचरे में ट्यूबलाइट, बल्ब, पेस्टीसाइड के लिए काला डिब्बा, इलेक्ट्रॉनिक कचरे के लिए अलग डिब्बा लगाया गया है। प्लास्टिक के कचरे के लिए प्रीमियर लीग के जरिए गाड़ियां चलाईं गईं।
4. जीरो वेस्ट वार्ड, देश का पहला
इंदौर में देश के पहले जीरो वेस्ट वार्ड 73 की घोषणा हुई। इसके साथ ही वार्ड 45, 47, 32, 4 और 66 को भी जीरो वेस्ट बनाया जा रहा है। इन वार्डों में किसी भी प्रकार का कचरा निगम द्वारा नहीं लिया जाता, बल्कि रहवासियों की मदद से ऐसा सेटअप तैयार किया गया है कि गीले कचरे से घर-घर में खाद बनाई जाती है और सूखे कचरे को रहवासी बेचकर आमदनी कमा रहे हैं।
5. बैकलेन सफाई का काम
इंदौर की 113 बैकलेन को निगम ने साफ कर अभियान की शुरुआत की। इसके साथ ही शहर की 10 हजार से ज्यादा बैकलेन को साफ करने के लिए वहां के रहवासियों की मदद से ही समिति बनाई जा रही है। इसके साथ ही पांच सौ से ज्यादा बैकलेन की सफाई का काम और चल रहा है।
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