- सीएम शिवराज सिंह चौहान ने जताया शोक इंदौर में अब तक कोरोना से 811 की मौतरविवार सुबह जस्टिस वंदना कसरेकर की मौत हो गई। उनका उपचार चल रहा था। उन्हें एयरलिफ्ट कर दिल्ली ले जाना था लेकिन हालत नाजुक होने की वजह से ऐसा नहीं हो सका। उन्हें कोरोना पॉजिटिव होने के बाद भर्ती किया गया था।
इंदौर हाईकोर्ट बार एसोसिएशन के उपाध्यक्ष अमर सिंह राठौर ने बताया कि एक वर्ष बाद जस्टिस वंदना केसरकर रिटायर होने वाले थी और लंबे समय से शहर के मेदांता अस्पताल में ही भर्ती थी। कुछ दिनों पहले दिल्ली स्थित एक अस्पताल में उन्हें एयरलिफ्ट भी किया जाना था लेकिन हालत अधिक नाजुक होने के कारण उन्हें एयरलिफ्ट भी नहीं किया जा सका और रविवार सुबह उनका निधन हुआ है।
कोविड नोडल अधिकारी अमित मालाकार ने इस बात की पुष्टि की थी कि न्यायाधीश को कोरोना था, कुछ दिनों पहले उन्हें दिल्ली किसी अस्पताल में रेफर भी करना था लेकिन उम्र अधिक होने के कारण उन्हें एयरलिफ्ट नहीं किया जा सका। डॉक्टर ने यह भी कहा है कि मल्टीलेवल ऑर्गन्स फेल होने से उनका निधन हुआ है।
52 कर्मचारी मिले थे कोरोना पॉजिटिव
शहर में कोरोना कहर बरपा रहा है। कुछ दिन पहले हाईकोर्ट में कई कर्मचारी कोरोना पॉजिटिव हो गए थे। इसके बाद से यहां लगातार सावधानी बरती जा रही है लेकिन इसके बाद भी कोरोना संक्रमण बढ़ता जा रहा है। शहर में अब तक 811 लोगों की की मौत हो चुकी है। रविवार सुबह न्यायाधीश की मौत की खबर पर हाईकोर्ट में कर्मचारियों को अपने स्वास्थ्य को लेकर चिंता बढ़ गई है। रविवार को यहां 427 पॉजिटिव केस मिले हैं। एमपी हाईकोर्ट में स्वास्थ्य विभाग की तरफ से पिछले 5 दिनों में कराए गए रैपिड एंटीजन टेस्ट में इंदौर पीठ के 52 कर्मचारियों के कोरोना वायरस से संक्रमित होने की पुष्टि हुई थी। इनमें से सर्वाधिक 35 कर्मचारी शुक्रवार को महामारी की चपेट में आ गए थे।
8 दिन में दो हाईकोर्ट के दो जस्टिस खो दिए
कोविड-19 के कारण बीते 8 दिनों में देश ने दो जजों को खो दिया है। इससे पहले 5 दिसंबर को गुजरात हाईकोर्ट के कार्यरत जज जस्टिस जीआर उधवानी का भी कोराेना से निधन हो गया था।
इंदौर में ही पढ़ी-लिखी और जज बनी
उनका जन्म 10 जुलाई, 1960 को मध्य प्रदेश के इंदौर में हुआ था। स्नेहलतागंज निवासी वंदना कसरेकर ने इंदौर के जीडीसी कॉलेज से बीएससी उत्तीर्ण करने के बाद शासकीय कला एवं वाणिज्य महाविद्यालय से एलएलबी उत्तीर्ण की और 1980 के दशक में जस्टिस सुभाष संवत्सर के यहां से अपना वकालत के क्षेत्र में कैरियर शुरू किया था। तब संवत्सर वकील हुआ करते थे फिर वे हाईकोर्ट जज बने तो उनके दफ्तर का सारा कामकाज कसरेकर के पास आ गया और तब तक वह काम संभालती रही, जब तक की संवत्सर सेवानिवृत्त नहीं हुए। आज भी उनकी पहचान संवत्सर के दफ्तर से है। वे काफी समय तक हाईकोर्ट में नियमित तौर पर वकालत करती रही थी। इस दौरान उन्होंने सिविल सर्विस के मामलों में गहरी दक्षता हासिल की। वे छह साल पहले यानि 2014 मे हाईकोर्ट जज बनी।
उन्हें कुछ समय पहले कोरोना संक्रमित होने के बाद अस्पताल में भर्ती कराया गया था। 3-4 दिन पहले वेदांता में भर्ती रहने के दौरान उन्हें एयरलिफ्ट कर दिल्ली ले जाने का चल रहा था किंतु उन्हें नही ले जाया जा सका था। सुबह करीब 11.30 बजे मेदांता में उन्होंने कार्डियक अरेस्ट के कारण दम तोड़ दिया। कोविड 19 के नोडल अधिकारी अमित मालाकार के अनुसार वंदना कसरेकर की मौत की वजह कोरोना संक्रमण है।
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