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फेसबुक पर फर्जी विज्ञापनों से हजारों लोगों को झांसा, यह पैसा चीनी कंपनियों के पास जा रहा

 

  • अमेरिका सहित कई देशों के कंज्यूमरों से वेबसाइट पर खरीदारी के नाम से करोड़ों रुपए हड़पे गए अमेरिका सहित दुनियाभर में फेसबुक या इंस्टाग्राम के यूजरों को फर्जी विज्ञापनों से झांसा दिया जा रहा है। अपने फीड पर किसी प्रोडक्ट का विज्ञापन देखकर लोग पेपाॉल के माध्यम से उसे खरीदते हैं। बदले में उन्हें कोई घटिया प्रोडक्ट या कुछ भी हाथ नहीं लगता है। बेचने वाला गायब हो जाता है या लोगों से कहता है कि वे पैकेट चीन लौटा दें। अक्टूबर में अमेरिकी फेडरल ट्रेड कमीशन ने बताया कि पिछले एक साल में घोटाले से जुड़ी शिकायतें तीन गुना बढ़ी हैं। 2020 के पहले छह महीनों में आई शिकायतों में लोगों ने 860 करोड़ रुपए के नुकसान का जिक्र किया है।

यह घोटाला किन्हीं छोटे ठगों ने नहीं किया है। इनमें से कई विश्व में चल रहे एक व्यवस्थित अभियान का हिस्सा हैं। ये सोशल मीडिया पर खरीदारी में लापरवाही बरतने और महामारी के कारण ऑनलाइन खरीदारी करने वाले नौसिखिए लोगों की भीड़ से फायदा उठाते हैं। सबसे बड़े शॉपिंग घोटाले के नेटवर्क से चीनी कंपनी टिजा इंफॉरमेेशन इंडस्ट्री कॉरपोरेशन को फायदा हो रहा है।

2019 में कंपनी की आय चार हजार करोड़ रुपए से अधिक थी। हर व्यक्ति को होने वाले कम नुकसान की वजह से कानूनी एजेंसियों का ध्यान इन घोटालों की तरफ नहीं है। साइबर क्राइम सपोर्ट नेटवर्क के सीईओ क्रिस्टिन जज कहते हैं, जो पैसा मुख्य बाजारों में खर्च होना था, वह चीन या कहीं अन्य जा रहा है।

25 हजार करोड़ रु. से अधिक के नुकसान की शिकायतें

लंबे समय से घोटाले इंटरनेट का बुनियादी तत्व बन गए हैं। गैलप के अनुसार चार में से एक अमेरिकी हर साल साइबर क्राइम का शिकार बनता है। इनमें आपसी रिश्तों में धोखाधड़ी, नकली आईटी सपोर्ट से लेकर पैसा जमा करने की पोंजी स्कीम शामिल हैं। पिछले साल अमेरिकी जांच एजेंसी एफबीआई को 25 हजार करोड़ रुपए से अधिक की चपत लगने की चार लाख 67361 शिकायतें मिली थींं।

महामारी फैलने के बाद समस्या बढ़ी

कोरोना वायरस महामारी का प्रकोप फैलने के बाद विश्व में लाखों लोग तमाम तरह के संपर्क के लिए इंटरनेट पर चले गए। इनमें से कई ऑनलाइन यूजर नए थे। इसलिए वे आसानी से धोखाधड़ी के शिकार बने। मार्च, अप्रैल में कोविड-19 की नकली दवाइयां, सैनिटाइजर की इंटरनेट पर बाढ़ आ गई। एन 95 मास्क के सबसे बड़े निर्माताओं में से एक 3एम ने नकली मास्क, अधिक मूल्य की चार हजार शिकायतों की जांच की है। इस साल के मध्य में क्रिप्टोकरेंसी घोटाले की लहर के बीच कोरोना वायरस के कारण धोखाधड़ी का रास्ता खुला।

पांच साल में 50% से अधिक बढ़ोतरी

ई-कॉमर्स के माध्यम से धोखाधड़ी का बहुत तेजी से विस्तार हो रहा है। बैटर बिजनेस ब्यूरो स्कैम ट्रैकर को 2015 में केवल 13 प्रतिशत घोटालों की शिकायत मिली थी। इस साल यह 64 प्रतिशत हो गई है। फेडरल ट्रेड कमीशन के अनुसार हर आयु वर्ग के लोग ऑनलाइन शॉपिंग घोटाले की चपेट में आए हैं। 2016 के बाद सोशल मीडिया पर घोटालों के सामने आने में नाटकीय बढ़ोतरी हुई है।

इंटरनेट घोटालों पर नजर रखने वाले विश्वास करते हैं कि कुछ संगठनों ने हजारों साइट बना रखी हैं। उन्होंने इन संगठनों को-यूनिकनैस नेटवर्क नाम दिया है, सैकड़ों वेबसाइट वाले एक अन्य नेटवर्क का नाम कोकोएर्प रखा है। ये नेटवर्क थोक में डोमेन नेम खरीदते हैं। ये अंग्रेजी में होते हैं जैसे कि गोशूजएनसी,किड्समैनशॉप,बोल्डवन। इसलिए जब किसी नेटवर्क के बारे में शिकायतें आई तो उसके स्थान पर दूसरा नेटवर्क सक्रिय हो जाता है। नेटवर्क घोटालों की जांच करने वाले सूजी हेबेर्ट कहते हैं, आप एक दर्जन नेटवर्क की शिकायत करेंगे तो दूसरे दिन तीन दर्जन और नेटवर्क चालू हो जाएंगे।

कई साइट ऑनलाइन शॉपिंग प्लेटफार्म शॉपिफाई का इस्तेमाल करती हैं। ई-कॉमर्स फाउंडेशन के जनरल मैनेजर जोरिल अब्राहम कहते हैं, चूंकि शॉपिफाई क्रेडिट कार्ड के बिना 14 दिन के लिए दुकान खोलने की अनुमति देती है इसलिए घोटालेबाज अपनी दुकानें शुरू करने के 15 दिन बाद बंद कर देते हैं। अब्राहम बताते हैं, हमें बहुत लोगों से शॉपिफाई की दुकानों से प्रोडक्ट की डिलीवरी न किए जाने की शिकायतें मिली हैं। शॉपिफाई के एक प्रवक्ता ने टाइम को लिखित बयान में कहा कि यदि कोई स्टोर हमारे नियमों और नीति का उल्लंघन करता है तो हम कार्रवाई करते हैं।

एप्रिलोइना नेटवर्क पर घोटालेबाज ऐसे हर संभव प्रोडक्ट दिखाते हैं जो गूगल सर्च में मिल सकते हैं। कई घोटालेबाज एट्सी या अन्य ई-कॉमर्स वेबसाइट पर उपलब्ध प्रोडक्ट की इमेज स्वाइप कर लेते हैं। सबसे अधिक धोखाधड़ी फेसबुक पर जारी विज्ञापनों के मार्फत हुई है। फेडरल ट्रेड कमीशन की स्टडी में पाया गया कि 94 प्रतिशत प्रभावित लोगों ने कहा कि वे फेसबुक या इंस्टाग्राम पर आए विज्ञापन को देखकर धोखाधड़ी की चपेट में आए हैं। घोटालेबाज कई फेसबुक पेज बनाते हैं। दूसरी ओर फेसबुक पर फर्जी विज्ञापनों की जानकारी देने वाले लोगों ने कम्युनिटी बनाई है।

ऐसी दो कम्युनिटी एडस्कैमबस्टर्स और स्कैम अलर्ट ग्लोबल का कहना है कि अक्सर उनकी शिकायतों को खारिज कर दिया जाता है। फेसबुक के प्रतिनिधि ऐसे विज्ञापनों के पेज को कम्युनिटी के स्टैंडर्ड का बता देते हैं। वहीं फेसबुक के प्रवक्ता ने इनकार किया कि फर्जी विज्ञापनों से कंपनी मुनाफा कमाती है। हम दुरुपयोग रोकने की पूरी कोशिश करते हैं। कंपनी का कहना है, हम खराब कंटेंट हटाने के मामले में पहले अब बहुत सक्रिय हैं।

घोटालेबाज वेबसाइट से प्रोडक्ट खरीदने वाले अक्सर पैसा चुकाने के लिए पेपाल का उपयोग करते हैं। कई लोगों ने बताया कि पेपाल की उपस्थिति से लोगों को विश्वास होता है कि इसमें फर्जीबाड़ा नहीं है। प्रोडक्ट न मिलने की स्थिति में कंज्यूमर को पेपाल से रिफंड भी नहीं मिला है। पेपाल के प्रतिनिधि ने टाइम को एक ई-मेल में बताया कि ऐसा बहुत बड़े पैमाने पर नहीं हो रहा है। हम अपने प्लेटफार्म पर फर्जी गतिविधियां सहन नहीं करते हैं।

दो चीनी कंपनियों का सीधा संबंध

एक फर्जी नेटवर्क के दो चीनी कंपनियों टिजा और उसकी सहायक कंपनी यूकेशू के बीच संबंध सामने आए हैं। टिजा इंडस्ट्रियल इंटरनेट सेवाएं देती है। ई-कॉमर्स कंपनी यूकेशू अली एक्सप्रेस, वॉलमार्ट,अमेजन और अन्य कॉरपोरेशनों के माध्यम से सामान बेचती है।

साथ में शंघाई से चार्ली कैम्पबेल

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