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इंदौर खंडपीठ:मिल सकते हैं दो जज; प्रिंसिपल बेंच के प्रशासनिक जज बन सकते हैं जस्टिस प्रकाश श्रीवास्तव


 इंदौर हाईकोर्ट (फाइल फोटो)

  • जस्टिस सतीशचंद्र शर्मा के कर्नाटक हाई कोर्ट जाने के बाद इंदौर खंडपीठ की तस्वीर बदली-बदली सी नजर आएगी। चीफ जस्टिस के रूप में जस्टिस मो. रफीक के आने बाद वरीयता के क्रम में इंदौर खंडपीठ के जस्टिस प्रकाश श्रीवास्तव पहले नंबर पर होंगे। इस नाते वह प्रिंसिपल बेंच जबलपुर में प्रशासनिक जज की भूमिका में नजर आ सकते हैं। वहीं इंदौर खंडपीठ में जस्टिस रोहित आर्य प्रशासनिक जज बन सकते हैं। इंदौर खंडपीठ में जजेस की कमी भी कुछ हद तक पूरी करने के लिए दो जज भेजे जाएंगे।

    नवंबर तक की स्थिति में इंदौर खंडपीठ में आठ जजेस थे जबकि यहां 10 जजेस के पद स्वीकृत हैं। दिसंबर में जस्टिस वंदना कसरेकर का निधन होने से संख्या घटकर 7 ही रह गई थी। अब जस्टिस शर्मा के चले जाने और जस्टिस श्रीवास्तव जबलपुर जाते हैं तो यह पांच ही रह जाएगी। इसे देखते हुए दो जजेस इंदौर खंडपीठ भेजे जा सकते हैं। अगले चार से पांच दिनों में जस्टिस मो. रफीक चीफ जस्टिस मप्र हाई कोर्ट की शपथ ले सकते हैं।

    इसके साथ ही प्रशासनिक जजेस की नियुक्ति भी दोनों खंडपीठ में हो जाएगी। तीनों खंडपीठ में जजेस के 40 पद स्वीकृत हैं जबकि कुल जजेस 27 ही सेवाएं दे रहे हैं। पिछले दो साल से मप्र की तीनों खंडपीठ के लिए नए जजेस नहीं बनाए गए हैं जबकि इस अवधि में कुछ जज रिटायर हुए हैं। दो साल में करीब 11 जज और रिटायर होंगे। इनमें 8 जज तो अगले साल ही रिटायर्ड होंगे। जिसमें इंदौर खंडपीठ के दो जज शामिल हैं। ऐसे में तीनों खंडपीठ में जजेस की काफी कमी हो जाएगी।

    चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया को पत्र- रिटायर जजेस की सेवाएं ली जाएं
    इसी बीच, अधिवक्ता आनंद अग्रवाल ने चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया को पत्र लिखा है। इसमें कहा है कि 20-25 साल पुरानी अपीलों का निराकरण करने के लिए पिछले एक-दो वर्षों में रिटायर हुए जजेस की सेवाएं ली जा सकती हैं। सिविल, क्रिमिनल मामलों के जानकार रहे जजेस की बेंच बनाकर इनका निराकरण करवाया जा सकता है। रिटायर जजेस केवल अपील ही सुनेंगे। अनुभवी जजेस के लिए अपील सुनना और आदेश पारित करना आसान भी होगा।

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