उद्योगों को दी गई जमीन के बदले में मप्र शासन द्वारा हर साल मेंटेनेंस शुल्क वसूला जाता है, लेकिन अभी तक इस शुल्क को किस तरह से औद्योगिक क्षेत्रोें में खर्च किया जाए, इसकी स्पष्ट नीति नहीं थी। अब शासन ने इसका जिम्मा उद्योगपतियों को ही सौंप दिया है। इस संबंध में इंदौर में सात सदस्यीय एक कमेटी का गठन करने के निर्देश जारी हो गए हैं। इसके अध्यक्ष एसोसिएशन ऑफ इंडस्ट्री मप्र के अध्यक्ष प्रमोद डाफरिया होंगे। सचिव जिला उद्योग केंद्र के महाप्रबंधक को बनाया गया है। इसके साथ ही पांच अन्य उद्योगपतियों को कमेटी द्वारा चुनकर सदस्य बनाया जाएगा।
यह कमेटी जिला उद्योग केंद्र द्वारा लीज पर उद्योगों को दी गई जमीन से हर साल वसूले जाने वाले दस रुपए प्रति वर्गमीटर मेंटेनेंस शुल्क को एकत्र करेगी और फिर उद्योगों के इंफ्रास्ट्रक्चर विकास के लिए खर्च करेगी। इंदौर में ढाई से तीन हजार यूनिट स्थापित हैं, जिनसे हर साल तीन करोड़ से ज्यादा मेंटेनेंस शुल्क जमा होता है।
डाफरिया ने बताया हम पहला फैसला लेंगे कि मेंटेनेंस शुल्क नहीं भर सके उद्योगपति से किसी तरह का ब्याज व पेनल्टी नहीं लेंगे। आगे जाकर इस शुल्क में राहत के भी तरीके देखे जाएंगे। साथ ही जिला उद्योग केंद्र के पास ऐसी रिक्त पड़ी छोटी-छोटी जमीन कैफे हाउस व ऐसे ही अन्य उपयोग के लिए दी जाएंगी, जिससे औद्योगिक क्षेत्रों में सभी को तरह-तरह की सुविधाएं मिल सकें।
लंबे प्रयास थे
इसके लिए एआईएमपी लंबे समय से प्रयास कर रही थी, जिससे उद्योगों की वास्तविक जरूरत समझते हुए इस शुल्क को खर्च किया जा सके। कमेटी के अन्य सभी सदस्यों को भी जल्द नियुक्त कर दिया जाएगा।
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