फाइल फोटो
मोबाइल मेडिकल यूनिट (एमएमयू) को बंद करने के बाद उससे जुड़ी कई और गड़बड़ियां सामने आई हैं। इसी साल जून में सरकार ने इन एम्बुलेंस की जांच कराई थी, इसमें पता चला कि कई वाहनों में डॉक्टर और स्टाफ ही मौजूद नहीं है। कई गांवों में एम्बुलेंस नहीं पहुंची और ग्रामीणों को इस सेवा का लाभ नहीं मिला।
इसकी गड़बड़ियों को लेकर हाई कोर्ट में एक याचिका भी दायर है। उस पर सुनवाई चल रही है। इधर, एमएमयू सेवा संचालित करने वाली जिगित्सा हेल्थ केयर पर सरकार की इस कार्रवाई से एक हजार कर्मचारियों के रोजगार का संकट पैदा हो गया है।
गांवाें में मिली ये गड़बड़ियां
- सांवेर (इंदौर)- समय पर कार्य पर रवाना नहीं हुई, सेमी ऑटोएनाॅलाइजर, माइक्रोस्कोप, सेंट्रीफ्यूज मशीन चालू हालत में नहीं मिली। एंट्री रजिस्टर में मरीज की जानकारी, ओपीडी, लैब टेस्ट की रिपोर्ट गायब थी। एएनएम और एलटी प्रशिक्षित नहीं मिले।
- सोनकच्छ (देवास)- एएनएम व लैब टेक्नीशियन नदारद थे। उपकरण चालू हालत में नहीं मिले। रूट चार्ट के अनुसार वाहन चलते नहीं मिला। समय पर नहीं जाते और समय से पहले लौट जाते थे।
- इछावर (सीहोर),रामा और थांदला (झाबुआ) में भी कमियां मिलीं।
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