तस्वीर प्रतीकात्मक है।
एक नामी उद्योगपति ने यूनिवर्सिटी के एक बड़े समारोह में हजारों छात्रों और शिक्षकों के बीच जब अपनी आपबीती सुनाई तो वहां बैठे सभी लोगों की आंखों से आंसू टपक पड़े। कहानी कुछ इस तरह से थी :
एक कक्षा में बहुत से छात्र बैठे थे। अचानक एक छात्र उठा और उसने घबराते हुए प्रोफेसर से कहा कि उसके पिताजी ने इस बार उसके जन्मदिन पर उसे बहुत कीमती घड़ी गिफ्ट में दी थी, लेकिन वह थोड़ी देर पहले ही किसी ने चुरा ली है।
इस पर प्रोफेसर ने कहा कि बहुत देर से कोई भी छात्र न तो कक्षा से बाहर गया और न बाहर से भीतर आया। इसका मतलब यह है कि जिसने भी घड़ी उठाई है, वह इसी कक्षा में है।
इसके बाद प्रोफेसर ने सभी को अपनी आंखों पर पट्टी बांधने और एक लाइन में खड़े होने को कहा। प्रोफेसर ने एक-एक करके सबकी जेब पर हाथ लगाना शुरू किया। कुछ ही देर में एक लड़के की जेब में घड़ी मिल गई। प्रोफेसर ने चुपचाप वह घड़ी निकाली और उसके मालिक को मुस्कुराते हुए दे दी। प्रोफेसर ने किसी से कुछ नहीं कहा। सबकी आंखों पर पट्टी होने की वजह से किसी को कुछ पता नहीं चला कि घड़ी किसने चुराई थी।
अगले दो-तीन दिन तक घड़ी चुराने वाला लड़का मन ही मन घबराता रहा कि उसका राज़ खुल जाएगा, लेकिन किसी को मालूम नहीं हुआ। कुछ महीनों में वे सभी छात्र पढ़ाई ख़त्म करके कॉलेज से निकल गए।
बहुत साल बाद कॉलेज में पुराने छात्रों का रीयूनियन का कार्यक्रम था। वह छात्र जिसने चोरी की थी, अब एक बड़ा उद्योगपति बन चुका था। वह अपने प्रोफेसर के पास गया तो उसकी आंखों से टप-टप आंसू गिरने लगे। उसने प्रोफेसर से कहा, मेरे जीवन पर आपका बहुत बड़ा कर्ज़ है। यदि आज मैं ज़िंदा हूं तो केवल आपके कारण।
प्रोफेसर हैरान हुए और कुछ समझ नहीं पाए। ऐसा कहने का कारण पूछा।
उस छात्र ने कहा- सर, एक बार आपकी कक्षा में एक घड़ी चोरी हुई थी। तब आपने सबकी आंखों पर पट्टी बंधवाकर सबकी जेब चेक की थी। मैं शर्मिंदगी में इतना घबरा गया था कि मैंने निर्णय ले लिया था कि यदि उस दिन सबको इस बात का पता लग गया कि घड़ी मैंने चुराई तो मैं आत्महत्या कर लूंगा। वह घड़ी मेरी जेब से मिली थी, लेकिन आपने उस बारे में किसी को नहीं बताया। आपने मुझे माफ़ कर दिया था और उस दिन आपने मेरी इज्ज़त रख ली। उस दिन मुझसे गलती हो गई थी और मैंने अपने आप से वादा किया था कि मैं कुछ बनकर दिखाऊंगा। यदि आप उस दिन मेरी चोरी के बारे में सबसे कह देते तो मैं अपनी जान दे देता।
प्रोफेसर ने धीरे से कहा, मैं नहीं जानता था कि वह घड़ी तुमने ली थी। मैंने तुम सबकी आंखें तो पट्टी से बंद करवा दी थी, लेकिन साथ ही साथ अपनी आंखों पर भी पट्टी बांध ली थी। मैं नहीं चाहता था कि मुझे पता चले कि मेरे किस छात्र ने यह काम किया है, ताकि अपने किसी छात्र की वैल्यू मेरी नज़रों में हल्की न हो।
यह सुनते ही वह लड़का जो अब एक नामी उद्योगपति था, नतमस्तक हो गया। व्यवहार की इतनी उच्चता, इतनी विनम्रता, इतनी उदारता उसकी कल्पना से परे था। उसकी आंखों में उस प्रोफेसर का सम्मान और भी कई गुना बढ़ गया।
किसी की गलती पता चलने पर उसका अपमान करना आम बात है, सबके बीच उसकी निंदा करना और सजा देना भी आम बात है, लेकिन उसकी गलती माफ़ कर आत्मसम्मान बचाने का मौका देना महानता है। प्रबंधन का सिद्धांत है कि प्रशंसा सबके बीच करो और निंदा अकेले में। माफ़ करना और माफ़ी मांगना दोनों शक्तिशाली लोगों का काम है।
एक बार किसी की गलती को भूलकर उसे माफ़ करके देखिए। अधिकांश मामलों में स्टाफ से लेकर संतान तक, जिन्हें आपने माफ किया है, वे दिल की गहराई से आपके ऋणी हो जाएंगे और आप उनकी नज़रों में बेहद ऊंचे उठ जाएंगे।
(लेखक मोटिवेशनल स्पीकर, ऑथर और बिजनेसजीतो के फाउंडर हैं।)
0 टिप्पणियाँ