अधिवक्ता अचला जोशी की इलाज के अभाव में हुई मौत के बाद दायर जनहित याचिका को हाई कोर्ट ने निराकृत कर दिया है। हाई कोर्ट ने माना कि इस मामले में अस्पतालाें की कोई गलती नहीं है। हालांकि कोर्ट ने ये भी आदेश दिए कि कोई भी मरीज अस्पताल पहुंचे तो कम से कम उसे प्राथमिक इलाज मिलना चाहिए। बेड भी उपलब्ध कराया जाना चाहिए। उन्होंने याचिकाकर्ता द्वारा किए गए प्रयासों की भी सराहना की।
अधिवक्ता अनिल ओझा ने जोशी की मौत के बाद बॉम्बे हॉस्पिटल और अरबिंदो अस्पताल पर लापरवाही बरतने का आरोप लगाते हुए लाइसेंस निरस्त किए जाने की मांग की थी। इस पर अस्पतालों की जांच भी डाॅक्टर्स की एक कमेटी ने की थी। इसमें किसी तरह की लापरवाही नहीं बरतने की रिपोर्ट दी गई थी। याचिकाकर्ता ने घटना वाले दिन के सीसीटीवी फुटैज, डीवीआर को पेश किए जाने के संबंध में प्रति उत्तर भी पेश किया था। हाई कोर्ट ने सभी पक्षों को सुनने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया था। सोमवार को हाई कोर्ट ने उक्त आदेश के साथ याचिका निराकृत कर दी। उल्लेखनीय है कि अस्पतालों में स्थिति अब फिर से सामान्य होती जा रही है।
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