वैज्ञानिकों को कोरोना वायरस में संभावित बदलाव को ध्यान में रखकर भी कुछ कदम उठाने होंगे
नवंबर में मॉडर्ना और फाइजर/बायोएनटेक कंपनियों की कोविड-19 वैक्सीन के 95% सफल होने की खबर के बाद महामारी खत्म होने की उम्मीदें बढ़ी हैं। वैज्ञानिकों को वैक्सीनों के इतना अधिक कारगर होने पर आश्चर्य है। लोग खुश हैं कि सामान्य जनजीवन बहाल हो सकेगा। लेकिन, स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने आगाह किया है कि वैक्सीन से उस तरह की राहत नहीं मिलेगी जैसी लोग आशा कर रहे हैं। अध्ययनों से पता लगा है कि ये वैक्सीन किसी व्यक्ति में संक्रमण फैलने से रोकने की बजाय लोगों को खतरनाक और गंभीर रूप से बीमार होने से रोकेंगी।
वैक्सीन के असरकारक होने के शोर में यह मुद्दा दब गया है। मॉडर्ना और फाइजर/बायोएनटेक ने अपनी वैक्सीन के 94.1% और 95 % सफल होने की खबर दी है। लेकिन, इस समय वैक्सीन से वायरस का संक्रमण रोकने की क्षमता का जिक्र नहीं है। उसके वायरस से होने वाली बीमारी से बचाव में प्रभावी होने की बात कही गई है। दोनों वैक्सीन के ट्रायल में वालंटियर्स को वैक्सीन या प्लेसबो (यह असली दवा नहीं होती है। दवा का मनोवैज्ञानिक अहसास कराती है।) दी गई थी।
फिर उनसे बुखार, कफ, सांस लेने में तकलीफ या शरीर में दर्द जैसे कोविड-19 के लक्षणों के बारे में बताने के लिए कहा गया। पॉजिटिव पाए गए लोगों को वायरस से संक्रमित माना गया। बाद में शोधकर्ताओं ने तुलना की कि पॉजिटिव लोगों में से कितने लोगों को वैक्सीन लगाई गई और कितने लोग प्लेसबो पर थे । उन्होंने पाया कि जिन लोगों को वैक्सीन लगाई गई उनमें बीमारी के लक्षण कम थे और वे प्लेसबो पर रखे गए लोगों जितने बीमार नहीं थे।
चूंकि स्टडी पॉजिटिव पाए गए वालंटियर्स पर थी लिहाजा यह बताने का कोई रास्ता नहीं है कि क्या वैक्सीन से किसी को पूरी इम्युनिटी मिलती है। यह जरूर स्पष्ट है कि वैक्सीन संक्रमित होने के बाद आपको बीमार पड़ने से रोकेगी। फिर भी, यह महत्वपूर्ण है क्योंकि गंभीर कोविड-19 मरीज को इंटेंसिव केयर में रखना पड़ता है। वायरस से कम संक्रमित लोगों का घर पर इलाज हो सकता है। इससे स्वास्थ्य सेवाओं पर अधिक बोझ नहीं पड़ेगा। महामारी नियंत्रण में लगे हेल्थ वर्कर भी बचे रहेंगे।
दोनों कंपनियों ने वैक्सीन की डोज बनाना शुरू कर दिया है लेकिन अगले साल अप्रैल तक अधिकतर अमेरिकियों को वैक्सीन नहीं लग पाएगी। इसलिए अगले साल तक महामारी पर पूरी तरह नियंत्रण का लक्ष्य मुश्किल होगा। रटगर्स यूनिवर्सिटी में माइक्रोबायोलॉजी के प्रोफेसर इमैनुअल गोल्डमैन कहते हैं, आबादी के बहुत बड़े हिस्से को वैक्सीन लगाए जाने और संक्रमण कम होने तक हम मास्क के बिना राहत की सांस नहीं ले सकेंगे। इसके अलावा रिसर्चर्स को वायरस में किसी किस्म के परिवर्तन के प्रति भी सचेत रहना होगा।
करोड़ों लोगों को वैक्सीन लगने के बाद ही विशेषज्ञ समझ पाएंगे कि वायरस कैसे खत्म होगा। अमेरिका की राष्ट्रीय एलर्जी और संक्रामक बीमारी इंस्टीट्यूट के डायरेक्टर डॉ. एंथोनी फॉसी कहते हैं, मुख्य बात है कि हमें कोविड-19 से लड़ने का एक और हथियार मिल गया है। अमेरिका और दुनिया में हर किसी को वैक्सीन लगने के बाद वायरस लौट जाएगा। सभी लोगों के सुरक्षित होने पर उसके पास कहीं जाने की जगह नहीं रहेगी।
मास्क जैसे उपाय जारी रहेंगे
जरूरी नहीं है कि वैक्सीन के कारण संक्रमित होने से सुरक्षा मिल जाएगी। इसलिए हम मास्क पहनने, सोशल डिस्टेंसिंग और बंद जगहों में एकत्र होने जैसे बचाव के उपाय बंद नहीं कर सकते हैं। रिसर्चर अब भी अध्ययन कर रहे हैं कि क्या वैक्सीन लगवाने और किसी तरह के लक्षण न दर्शाने वाले लोग दूसरों में बीमारी फैला सकते हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि पूरी जानकारी सामने आने तक हमें कोरोना वायरस के फैलाव को रोकने के लिए जरूरी उपाय करते रहना चाहिए।
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