- 10 लाख हितग्राही के लिए हर माह आता है सात टन अनाज, बाजार मूल्य 16 करोड़
- 50 करोड़ का हो सकता है इंदौर में राशन घोटाला अब पूरे प्रदेश में होगी जांच
गरीबों के राशन की कालाबाजारी के मामले में बड़ा खुलासा हुआ है। प्रशासन की जांच में पता चला है कि भरत दवे, श्याम दवे, प्रमोद दहीगुड़े आदि यहां से राशन ले जाकर हैदराबाद में 20 गुना अधिक दामों में बेच रहे थे। हर महीने छह-सात बड़े सेंटर पर राशन इकट्ठा कर ट्रकों के माध्यम से जबलपुर, नागपुर होते हुए राशन हैदराबाद भेजा जा रहा था।
कोरोना काल में अप्रैल से दिसंबर के बीच इंदौर को 10 करोड़ से अधिक का अनाज मिला, जिसका बाजार मूल्य 150 करोड़ है। लॉकडाउन में ट्रकों से अनाज की आवाजाही पर रोक नहीं थी, जबकि मांग ज्यादा थी। राशन माफिया ने इसी का फायदा उठाया। इंदौर जिले में 50 करोड़ से ज्यादा का घोटाला हो सकता है।
गरीब तरसते रहे, ये 20 गुना दामों में बेचते रहे उनका राशन
पूरे प्रदेश में करेंगे जांच
राशन घोटाले की रिपोर्ट कलेक्टर से मांगी है। पूरे प्रदेश में जांच कराई जाएगी। जिन माफिया के नाम इसमें आए हैं, उनकी प्रदेश में और कहां दुकानें हैं, इसका पता लगाएंगे।
- फैज अहमद किदवई, प्रमुख सचिव, नागरिक आपूर्ति
20 किलो ले गए 16 ही निकला, मीणा ने लाइसेंस निरस्त कर फिर बहाल कर दिया
राशन माफिया ने गरीबों के हक पर दो तरफा डाका डाला। अंत्योदय योजना में प्रति परिवार 35 किलो राशन मिलता है, लेकिन ज्यादातर दुकानों से 10 किलो ही बांटा गया। कुछ मामले ऐसे भी आए हैं, जिनमें लोग दुकान से 20 किलो राशन लेकर गए, लेकिन चक्की पर वह 16 किलो ही निकला। उधर, महू में मोहन अग्रवाल के खिलाफ कार्रवाई के बाद कलेक्टर मनीष सिंह के निर्देश पर फूड कंट्रोलर आरसी मीणा ने दिखावे की कुछ कार्रवाई की। भरत दवे के यहां भी छापा मारा।
यहां से कई ड्रम सहकारी भंडार के मिले। हालांकि जांच में ये खाली निकले, आशंका है, इन ड्रम में ही राशन बाहर भेजा जाता होगा। इसके मीणा ने कुछ दुकानों के लाइसेंस सस्पेंड किए, लेकिन फिर बहाल भी कर दिए। इसके बाद कलेक्टर ने अपर कलेक्टर अभय बेडेकर को जांच सौंपी। मीणा को दूर रखते हुए पड़ताल की गई तो 12 दुकानों में गड़बड़ी सामने आ गई। हर दुकान पर 15-20 लोगों के बयान लिए। सभी जगह कम राशन देना पाया गया।
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