कलेक्टोरेट से सिर्फ 200 मीटर दूर ही श्याम दवे की एकसाथ चार मल्टियां हैं।
गरीबों के राशन की कमाई रियल एस्टेट में लगाई, अब तक आठ मल्टियों की जानकारी मिली
गरीबों का अनाज लूटकर राशन माफिया बने दवे परिवार के इस घोटाले में 12 सदस्य शामिल हैं। भरत और श्याम दवे ने एक-एक कर परिवार के बहू, बेेटे, भाभी, भतीजे, भांजे सभी को विविध सहकारिता उपभंडार में पदाधिकारी और उचित मूल्य की दुकान में विक्रेता बनाकर इस घोटाले को अंजाम दिया और इससे हुई करोड़ों की काली कमाई को रियल सेक्टर में लगाकर मल्टियां बनाई और अन्य कारोबार में पैसा लगाया। कलेक्टर मनीष सिंह ने गुरुवार शाम भरत दवे और श्याम दवे के खिलाफ रासुका लगाने के आदेश जारी किए। प्रशासन की शुरुआती जांच में 10 करोड़ की प्रॉपर्टी की जानकारी सामने आ चुकी है।
प्रशासन द्वारा कराई गई संपत्तियों की जांच में कलेक्टोरेट के आसपास ही इनकी पांच मल्टियां और एक प्लॉट सामने आ चुका है, जिसकी कीमत पांच करोड़ के करीब बताई जा रही है। यह मल्टियां श्याम दवे की हैं और यहां पर किराए से दुकानें संचालित हो रही हैं तो कहीं पर किराएदार रह रहे हैं। वहीं इसी परिवार के एक सदस्य धर्मेंद्र पुरोहित की पीर गली के पास तीन मल्टियां होना बताया जा रहा है। भरत दवे के एक रिश्तेदार अशोक और उसकी पत्नी अंजू द्वारा बिसनावदा में ईंट-भट्टे का भी लंबा-चौड़ा कारोबार होना बताया जा रहा है। हालांकि भरत दवे के अभी केवल सुदामानगर में एक मकान का ही पता चला है।
भ्रष्टाचार का वंशवृक्ष
रिश्तेदारी में कुल पांच भाई भरत, श्याम, अनिल, अशोक और नरेंद्र दवे
नरेंद्र दवे- अभिनय श्री महिला सहकारी भंडार में इसकी पत्नी विजया उपाध्यक्ष।
अशोक दवे- श्री मां बिजासन प्राथमिक भंडार में इसका बेटा अमित दवे विक्रेता।
अनिल दवे- अभिनय श्री महिला सहकारी उपभंडार में इसकी पत्नी कांतादेवी अध्यक्ष।
श्याम दवे- इसका बेटा धीतेश दवे छात्र सहकारिता उपभंडार में विक्रेता। साला धर्मेंद्र श्री मां बिजासन प्राथमिक सहकारिता उपभंडार में अध्यक्ष। भांजा राजेश पालीवाल अभिनय श्री महिला सहकारी उपभंडार में विक्रेता।
भरत दवे -भाइयों को राशन दुकानों में लिंक किया। पत्नी भारती देवी की खाद्य फैक्टरी पर पहले ही छापा डल चुका और इसमें एफआईआर दर्ज हो चुकी।
घोटाले का गणित : कमीशन से होती 8 हजार प्रतिमाह की कमाई, लेकिन घोटाले से 40 हजार हर माह कमाए
उचित मूल्य की सरकारी दुकान संचालित करने के लिए शासन द्वारा हर दुकान संचालक को प्रति क्विंटल अनाज वितरण के लिए 70 रुपए का कमीशन दिया जाता है। एक दुकान द्वारा हर माह औसतन 120 क्विंटल अनाज का वितरण किया जाता है, यानी हर दुकानदार को औसतन आठ से नौ हजार रुपए के बीच की कमाई होती है। राशन माफिया ने अपनी कमाई बढ़ाने के लिए इस अनाज को चुराकर बाजार में बेचने का धंधा शुरू कर दिया। घोटाले की जांच में सामने आया है कि औसतन हर दुकान से करीब 20 क्विंटल अनाज यानी आवंटित अनाज का करीब 15 से 20 फीसदी डायवर्ट कर बाजारों में बेचा गया है, जिसकी औसत कीमत 40 से 50 हजार रुपए प्रति माह होती है। इस तरह राशन माफिया ने हर माह इन दुकानों से हजारों रुपए का घोटाला किया।
राशन दुकान में गड़बड़ी की पहली शिकायत नौ माह पहले ही आ गई थी, नजरअंदाज करते रहे अधिकारी
जिला आपूर्ति नियंत्रक के पास राशन में गड़बड़ी की शिकायत मई में ही आ गई थी। जून में जांच हुई तो गड़बड़ी भी आई, लेकिन नजरअंदाज करते रहे खाद्य
आपूर्ति अधिकारी।
मई में की गई शिकायत कविता श्री सहकारी उपभोक्ता भंडार की थी। जब जांच की गई तो उपभोक्ता बहुविकलांग श्रेणी का था। उसे मई 2020 में 70 किलो चावल, एक किलो दाल दी गई।
आईडी पर लिखा 70 किलो चावल, 2 लीटर केरोसिन, एक किलो चना दाल दी गई। जून में उसे 28 किलो गेहूं, 7 किलो चावल, 1.5 लीटर केरोसिन, 1 किलो नमक व 35 किलो चावल वितरण किया।
स्टॉक जांचा तो पता चला चावल स्टॉक रजिस्टर में दर्ज मात्रा से 3.63 क्विंटल ज्यादा और दाल स्टॉक रजिस्टर में दर्ज संख्या से 0.71 क्विंटल कम मिली।
घोटाले के सभी आरोपियों की संपत्ति की जांच कर रहे हैं
सभी 31 आरोपियों की संपत्ति की जांच अधिकारियों द्वारा की जा रही है। सभी दुकानों की मॉनिटरिंग एसडीएम द्वारा होगी और बाउंडओवर कराया जाएगा, जिससे कोई भी भविष्य में गरीबों के अनाज में घोटाला करने की सोचे भी नहीं।
- मनीष सिंह, कलेक्टर
दुकानों से आवंटित अनाज की सख्त मॉनिटरिंग शुरू हो गई है
राशन दुकानों को आवंटित अनाज और वहां से गरीबों को मिलने वाले अनाज को लेकर सख्त मॉनिटरिंग हो रही है। जो भी शिकायतें मिल रही हैं, उनकी जांच की जा रही है। कलेक्टर के आदेश पर संपत्तियों की जांच हो रही है। इसमें कुछ जानकारी मिली है।
- डॉ. अभय बेडेकर, अपर कलेक्टर व जांच अधिकारी
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