- फार्माकोलॉजिकल और नॉन फार्माकोलॉजिकल ट्रीटमेंट खोजने में लगे हैं प्रोफेसर
देशभर के 23 भारतीय तकनीकी संस्थानों में कोरोना उपचार से जुड़े किसी न किसी प्रोजेक्ट पर काम चल रहा है। कोरोना के फार्माकोलॉजिकल और नॉन फार्माकोलॉजिकल ट्रीटमेंट के लिए रिसर्च कर रहे प्रमुख आईआईटी में आईआईटी इंदौर सबसे आगे है, जहां 8 प्रोजेक्ट पर काम किया जा रहा है। दरअसल सभी आईआईटी कोरोना से बचाव, रोकथाम और उपचार के लिए पर्सनल प्रोटेक्टिव केयर इक्विपमेंट, टेस्टिंग किट, सैनिटाइजेशन, मेडिकल इक्विपमेंट, रोबोट, सर्विलांस और डेटा एनालिटिक्स जैसी सात कैटेगरी में अध्ययन कर रहे हैं या कर चुके हैं। आईआईटी इंदौर टेस्टिंग किट के अलावा सभी 6 कैटेगरी में उपस्थिति दर्ज करवा चुका है।
सभी छह श्रेणी में उपस्थिति, इन आठ तरह के प्रोजेक्ट में चल रही यह रिसर्च
सूडो वायरस वैक्सीन
स्क्रूटनाइजिंग द सार्स कोव-2 प्रोटीन इनफरमेशन फॉर डिजाइनिंग इफेक्टिव वैक्सीन एनकंपासिंग बोथ द टी-सेल एंड बी-सेल एपिटोज प्रोजेक्ट के तहत डॉ. अमित कुमार वैक्सीन सूडो वायरस बना चुके हैं। सार्स कोव-2 वायरस के अध्ययन से तैयार सूडो वायरस वैक्सीन बनाने की दिशा में सफल है। आगे के अध्ययन के लिए सूडो वायरस पुणे की सहायक लैब में भेजा गया है।
स्टॉपिंग द कोविड-19
इंटरनेशनल नेटवर्क रिसर्च प्रोजेक्ट स्टॉपिंग द कोविड-19 पेडेमिक के तहत प्रोफेसर अविनाश सोनवाने चार चीजों का अध्ययन कर रहे हैं। इनमें कोविड-19 वायरस को होस्ट करने वाली मानवीय कोशिकाओं का अध्ययन, कोविड-19 की पैथोलॉजी के जरिए संवेदनशीलता और प्रतिरोध का अध्ययन, अलग-अलग देशों में मिले कोरोना मामलों के जरिए वायरस की जिनोटाइपिंग और जिनोम सिक्वेंसिंग की स्टडी और क्लाउड कंप्यूटिंग, मशीन लर्निंग व आर्टिफिशियल लर्निंग के जरिए कोविड संक्रमण के कारणों का पता लगाने की कोशिश कर रहे हैं।
दो प्रोजेक्ट पर काम
संस्थान के डॉ. परिमलकर दो प्रोजेक्ट पर काम कर रहे हैं। कंप्यूटेशनल ड्रग री-परपजिंग स्टडी के जरिए वे कोविड के संभावित अवरोधकों की खोज कर रहे हैं। उनका दूसरा प्रोजेक्ट कम्प्यूटर एडेड ड्रग डिस्कवरी अगेंस्ट कोविड है।
यहां चार प्रोजेक्ट पर काम जारी
एसोसिएट प्रोफेसर मिर्जा एस.बेग 4 प्रोजेक्ट पर काम कर रहे हैं। पहले प्रोजेक्ट में सार्सकोव-2 वायरस के उपचार के लिए नोवल पेप्टाइड की खोज कर रहे हैं। दूसरे प्रोजेक्ट में वे 3 सीएल प्रो और पीएल प्रो नाम के दो प्रोटीन के जरिए कोविड-19 संक्रमण रोकने का स्ट्रक्चर तैयार कर रहे हैं। तीसरे प्रोजेक्ट में वे नोवल पेप्टाइड डेरिवेटिव का पता लगा रहे हैं जिसके जरिए वायरस को पनाह देने वाली कोशिकाओं सार्स कोव 2 वायरस को अवरुद्ध कर सकें। इसके अलावा सैनिटाइजेशन कैटेगरी में आईआईटी इंदौर यूवी लाइट के जरिए सैनिटाइज करने के लिए फ्लोरोसेंट ब्रिक और कोटिंग, शरीर का तापमान मापने के लिए पहनने योग्य सेंसर तैयार कर चुका है।
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