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राऊ देवास बायपास:टोल कंपनी को हटाने की तैयारी ; कारण 300 करोड़ रुपए बकाया, 12 काम अधूरे

 

2035 तक का समय दिया गया था गायत्री टोल वेज कंपनी को
  • सिक्स लेन बनाने से पहले राशि वसूलने लगी थी कंपनी, तब आई थी चर्चा में

शहर से सटे 45 किलोमीटर के राऊ-देवास बायपास पर टोल वसूली कर रही गायत्री टोल वेज कंपनी (आईडीटीएल) पर एनएचएआई ने ब्याज सहित 300 करोड़ रुपए की लेनदारी निकाली है। इसके अलावा एक दर्जन के करीब अधूरे कामों की पंच लिस्ट भी तैयार कर रखी है। टोल कंपनी को टर्मिनेट करने की तैयारी विभाग ने तो कर ली है, लेकिन अपना पक्ष रखने के लिए उसे 12 जनवरी तक का समय दिया है। कंपनी के पास टोल चलाने के लिए ठेका 2035 तक का है, लेकिन काम करने में लापरवाही के चलते उसे समय से पहले टर्मिनेट करने की तैयारी हो रही है। ऐसे में नई कंपनी द्वारा देवास बायपास और मांगलिया के टोल को संभालने की राह आसान नहीं होगी।

नेशनल हाईवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया ने राऊ-देवास बायपास की टोल कंपनी को टर्मिनेट करने के लिए कमर कस ली है। कंपनी को टोल का काम 2011 से सौंपा गया था। उसे 24 करोड़ रुपए सालाना विभाग के पास जमा कराना था, लेकिन 2013 के बाद से कंपनी ने अपना पक्ष रखा था कि उसे टोल से पर्याप्त कमाई नहीं हो रही है।

ऐसे में एनएचएआई ने प्रोजेक्ट को चालू रखने के लिए राशि जमा कराने में रियायत दी थी। उसके लिए शर्त यह थी कि जब टोल वसूली ज्यादा होने लगे तो रियायत की राशि ब्याज समेत देना होगी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। राशि ब्याज सहित बढ़ते-बढ़ते 300 करोड़ पहुंच गई। यह पहली ऐसी कंपनी थी जिसने काम पूरा होने के पहले ही टोल वसूलने लगी थी।

अनुमान : एनएचएआई संभाल सकती है टोल का काम
एनएचएआई के दिल्ली स्थित मुख्यालय में 12 जनवरी को टोल कंपनी के संबंध में निर्णय लिया जाना है, अगर आईडीटीएल कंपनी टर्मिनेट कर दी जाती है तो टोल वसूली का काम एनएचएआई को संभालना होगा। इसके बाद विभाग की तरफ से टेंडर जारी कर टोल वसूली का काम नई कंपनी को सौंपा जाएगा।

खींचतान: 12 किमी सड़क बनाने का निगम से चला डेढ़ साल विवाद
नर्मदा की पाइप लाइन डालने के लिए 12 किमी सड़क खोदने के बाद उसे दोबारा बनाने को लेकर डेढ़ साल झगड़ा चला, तब भी आईडीटीएल ने रोड बनाने से मना कर दिया था। इसके बाद एनएचएआई, जिला प्रशासन और निगम के अफसरों के साथ बैठक के बाद यह तय किया कि उस सड़क को नगर निगम ही बनाएगा।

लेटलतीफी : 2016 तक पूरा हो पाया था टुकड़ों-टुकड़ों में काम
राऊ से देवास सिक्स लेन बायपास कुल 45 किलोमीटर का है। फरवरी 2014 तक 40 किलोमीटर का काम हो गया था। बाकी पांच किलोमीटर का काम अलग-अलग टुकड़ों में किया गया था। यह काम इलेक्ट्रिकल शिफ्टिंग के कारण 2015-16 तक पूरा हो पाया। हालांकि कंपनी ने पहले ही टोल वसूलना शुरू कर दिया था।

तैयारी: अभी से पांच कंपनियां टोल लेने के लिए लगी लाइन में
आईडीटीएल कंपनी के टोल से हटते ही इसे लेेने के लिए पांच कंपनियां लाइन में हैं। तीन कंपनियों ने सर्वे भी कर लिया। इसमें पाथ इंडिया, ओरिएंटल और मुंबई की साकार कंपनी प्रमुख है। टोल से प्रतिदिन गुजरने वाले वाहनों की संख्या दर्ज करने को लेकर भोपाल की साईं सर्वे कंपनी को काम मिला है। यह सर्वे लगभग एक सप्ताह तक का है।

अधूरे काम: पैचवर्क, मार्किंग, लाइट, साइन बोर्ड भी नहीं लगाए
सिक्स लेन बायपास का पैचवर्क करने के साथ सर्विस रोड का मेंटेनेंस, बोगदों का रखरखाव, मार्किंग, साइन बोर्ड, स्ट्रीट लाइट आदि सहित 10 से ज्यादा काम टोल संभालने वाली नई कंपनी को करने होंगे। सर्विस रोड पर स्ट्रीट लाइट लगाने के लिए पूर्व सांसद सुमित्रा महाजन ने भी दो साल पहले एनएचएआई को पत्र लिखा था, लेकिन काम बाकी रह गया है।

लापरवाही: यूटिलिटी शिफ्टिंग की वजह से 3 अंडरपास में देरी
इसी दौरान तीन अंडरपास जो यूटिलिटी शिफ्टिंग के कारण देरी से बन पाए, उसमें मांगलिया तिराहा, शिप्रा और तेजाजी नगर चौराहे के अंडरपास शामिल हैं। इस बायपास पर सड़क के दोनों तरफ 18.5 और 18.5 किलोमीटर में टुकड़ों-टुकड़ों में सर्विस रोड बनी हुई है। यह सर्विस रोड अंडरपास की जगह पर चढ़ाई के शुरुआत से उतार के अंत तक बनाई गई है।

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