दो माह से लोहे के दामों में लगातार तेजी बनी हुई है। जो सरिया दो माह पहले 45 हजार रुपए प्रति टन मिल रहा था, वह अब 57 हजार प्रति टन पहुंच गया है। इसी तरह लोहे की चद्दर, एंगल आदि आइटम भी महंगे हो गए हैं। इसके चलते लोहा बाजार में कई कारोबारियों ने जो पुराने दाम पर सौदे किए हुए थे वह रद्द करना शुरू कर दिए हैं।
कई कारोबारियों ने अपने मोबाइल पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हाथ जोड़ते हुए फोटो लगाकर नीचे लिख दिया है कि नए साल में लोहे का नया दाम, पुराने सौदे रद्द। लोहा कारोबारी एम. शर्मा ने कहा कि हमारी मजबूरी है। दाम बढ़ने से मुनाफा खत्म हो गया और पुराने दाम पर सामग्री बेचने से घाटे में जा रहे हैं।
वहीं दाम बढ़ने से उद्योगों को भारी संकट आ गया है, जिन उद्योगों ने सामग्री सप्लाय करने के लिए करार किए हुए थे, वह इस करार को रिन्यू कराने में लगे हुए हैं, क्योंकि दाम बढ़ने के कारण उनके लिए यह घाटे का सौदा बन रहा है। वहीं जिन टेंडर लेने वालों ने पुराने दाम के आधार पर कोटेशन डाले हुए थे, वे भी मुश्किल में आ गए हैं। वहीं, रियल सेक्टर में सीमेंट के साथ ही लोहे के दाम बढ़ने के चलते निर्माण लागत में भी इजाफा हो रहा है।
सीमेंट 30 फीसदी महंगी
सीमेंट की कीमतों में भी 30% का इजाफा है। रेट बढ़ने से रियल सेक्टर प्रोजेक्ट की लागत 20 से 25 फीसदी अधिक हो गई है। क्रेडाई ने इस मामले में केंद्र और मप्र शासन से मांग की है कि इन दामों में नियंत्रण लाया जाए, कई जगह कर्टेल बन रहे हैं और दाम बढ़ाए जा रहे हैं। इस सेक्टर में किसी वजह से कच्चे माल या अन्य सामग्री की समस्या आ रही है तो इस केंद्र दूर करे, नहीं तो प्रोजेक्ट में कीमत बढ़ाने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचेगा।
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