30 जनवरी तक होंगे विभिन्न कार्यक्रम
मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान गणतंत्र दिवस के अवसर पर जनजातीय और लोक कलाओं के छत्तीसवें राष्ट्रीय समारोह 'लोकरंग' का शाम 7 बजे शुभारंभ करेंगे। समारोह की अध्यक्षता संस्कृति, आध्यात्म एवं पर्यटन मंत्री सुश्री उषा ठाकुर करेंगी।
पाँच दिवसीय बहु-कलावर्णी उत्सव लोकरंग समारोह भोपाल के रवीन्द्र भवन परिसर में 26 से 30 जनवरी तक संस्कृति विभाग द्वारा आयोजित होगा। इसमें स्वराज संस्थान संचालनालय भोपाल, दक्षिण मध्य क्षेत्र सांस्कृतिक केन्द्र नागपुर, उत्तर मध्य क्षेत्र सांस्कृतिक केन्द्र प्रयागराज और आदिवासी लोककला एवं बोली विकास अकादमी मध्यप्रदेश संस्कृति परिषद सहयोगी संस्थायें हैं।
लोकरंग उत्सव में 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस समारोह परेड में चयनित प्रतिभागियों और झांकियों के राज्य स्तरीय पुरास्कार प्रदान किये जाएगें। बुन्देली संस्कृति एवं कला आधारित समवेत प्रस्तुती होगी। बुधवार 27 जनवरी को लोकराग अंतर्गत पश्चिम बंगाल का बाउल गायन और मध्यप्रदेश का बुन्देली गायन होगा। भीली कलाओं आधारित समवेत नृत्य की प्रस्तुती होगी। मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र, उड़ीसा, उत्तरप्रदेश, उत्तरांचल, राजस्थान, और कर्नाटक राज्यों के जनजातीय तथा लोकनृत्य होगें।
गुरूवार 28 जनवरी को लोकराग अंतर्गत बिहार का भोजपुरी गायन और मध्यप्रदेश का मालवी गायन होगा। धरोहर अंतर्गत मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र, उड़ीसा, उत्तरप्रदेश, उत्तरांचल, राजस्थान एवं कर्नाटक राज्यों के जनजातीय और लोकनृत्य प्रस्तुत किये जायेगे। देशान्तर अंतर्गत ईरान के नृत्य की प्रस्तुती होगी। बुधवार 29 जनवरी को लोकराग अन्तर्गत कश्मीर प्रान्त का कश्मीरी गायन और मध्यप्रदेश का निमाड़ी गायन होगा। धरोहर अंतर्गत मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र, उत्तरप्रदेश, उत्तरांचल, राजस्थान, और कर्नाटक राज्यों के जनजातीय और लोकनृत्य प्रस्तुत किये जायेगे।
शनिवार 30 जनवरी को सायं 7 बजे से राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की पुण्यतिथि पर ख्यात सूफी गायिका रूहानी सिस्टर्स का गायन 'पीर पराई जाने रे' होगा। लोकरंग में 27 से 29 जनवरी तक दोपहर 2 बजे से बच्चों की फिल्म 'उल्लास' प्रदर्शित की जाएगी। प्रतिदिन दोपहर 2 बजे से आयोजित शिल्पमेला में विविध माध्यमों के शिल्पों का प्रदर्शन और विक्रय किया जाएगा। भील एवं गोण्ड जनजातीय वरिष्ठ चित्रकार स्वर्गीय पेमा फत्या एवं स्व. कलाबाई श्याम के चित्रों की प्रदर्शनी लगेगी। पारम्परिक शिल्पों का प्रशिक्षण शिविर आयोजित होगा। देशज व्यंजनों का स्वाद लिया जा सकेगा। संस्कृति, कला और साहित्य आधारित पुस्तकें उपलब्ध रहेगी।
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