गेहूँ की अच्छी फसल के लिये किसानों को सामयिक सलाह*
गेहूँ फसल का अच्छा उत्पादन प्राप्त करने के लिये किसान कल्याण तथा कृषि विकास विभाग ने किसानों को उपयोगी सलाह दी है। किसानों को सलाह दी गई है कि यदि पाला पड़ने की संभावना हो तो फसलों में हल्की सिंचाई करें। पाले से बचाव के लिये थायो यूरिया की 500 ग्राम मात्रा एक हजार लीटर पानी में घोल बनाकर छिड़काव करना चाहिए। इसके अलावा 8 से 10 ग्राम सल्फर पाउडर प्रति एकड़ के हिसाब से भुरकाव किया जा सकता है। इसी तरह घुलनशील सल्फर 3 ग्राम प्रति लीटर पानी में घोलकर अथवा 0.1 प्रतिशत गंधक अम्ल का छिड़काव भी किया जा सकता है।
किसानों को सलाह दी गई है कि देर से बोई गई फसल में एक तिहाई नत्रजन (33 किग्रा/हैक्टेयर) देना चाहिए। इसके लिये लगभग 70 से 72 किग्रा यूरिया प्रति हैक्टेयर के हिसाब से सिंचाई के पूर्व भुरकना उचित होता है। अगेती बुवाई वाली फसलों में और अधिक सिंचाई नहीं करना चाहिए। पूर्ण सिंचित समय से बोई गई गेहूँ की फसलों में 20 – 20 दिन के अंतराल पर 4 सिंचाई करना चाहिए।
जरूरत से अधिक सिंचाई करने पर फसल गिर सकती है और दानों में दूधिया धब्बे आ जाते हैं। साथ ही उपज भी घट जाती है। बालियां निकलते समय फब्बारा विधि से सिंचाई कदापि न करें अन्यथा फूल गिर जायेंगे और दानों का मुँह काला पड़ जाता है। साथ ही करनाल बंट तथा कंडुवा व्याधि के प्रकोप का डर भी रहता है। शीघ्र एवं समय से बोई गई फसलों में उगे हुए खरपतवारों को जड़ सहित उखाड़कर जानवरों को चारे के रूप में खिलाएँ या फिर गड्डे में डालकर कार्बनिक खाद तैयार कर लें।
देर से बोई गई गेहूँ की फसल में खरपतवार नियंत्रण के लिये खुरपी या हैण्ड हो से निराई-गुड़ाई करें, यदि श्रमिक उपलब्ध न होने पर जब खरपतवार दो से चार पत्ती की हो, तो चौड़ी पत्ती वाली खरपतवार के लिये 4 ग्राम मेटसल्फयुरोन मिथायल या 650 मिमी. 2, 4-डी का छिड़काव करना चाहिए। सकरी पत्ती वाले खरपतवारों को नष्ट करने के लिये 60 ग्राम क्लोडिनेफोप प्रोपरजिल प्रति हैक्टेयर की दर से छिड़कें। दोनों तरह के खरपतवारों को हटाने के लिये इन दोनों नुस्खों को मिलाकर उपयोग में लाएँ या फिर बाजार में उपलब्ध रेडीमिक्स उत्पादों को छिड़कें। छिड़काव के लिये स्प्रेयर में फ्लैट फैन नोजल का इस्तेमाल करना चाहिए।
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