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एक क्षण की नींद बन गई मृत्यु का कारण : आचार्य विमदसागरजी


जो संसार समुद्र से पार होना चाहता है उसे गुरु की वाणी ध्यान से सुनना चाहिए, दूसरे की बातें सुनना हमारे चिंता कारण बन जाती हैं, जिससे हमारा धर्म ध्यान छूट जाता है, पुण्य छूट सकता है,  आर्त-रौद्र ध्यान हो सकता है। इसी कारण से हमें अन्य बातों को छोड़कर गुरु की वाणी ध्यान से सुनना चाहिए। क्योंकि जिस समय अर्जुन सुभद्रा को चक्रव्यूह में प्रवेश की बात बता रहे थे सब सुभद्रा सुन रही थी पर जब अर्जुन चक्रव्यूह से निकलने की बात बता रहे थे तब सो गई थी। नींद लग गई थी वही नींद अभिमन्यु की मृत्यु का कारण बन गई । 
यह उद्बोधन रतलाम में ससंघ विराजमान श्रमणाचार्य श्री विमदसागर जी मुनिमहाराज ने मंगलवार को दिया। उन्होंने कहा कि गुरु के चरणों में विनय करना अनुरोध करना हे गुरु जब आपको कुछ आवश्यकता हो मुझे याद करना, मुझे सेवा देना । जो शांति गुरु चरणों में मिल सकती है कहीं नहीं मिल सकती। कपड़े की पहचान तार से होती है, तलवार की पहचान म्यान से होती है और व्यक्ति की पहचान उसके व्यवहार से होती है। अभिमन्यु चक्रव्यूह से निकलने का कथन तो सुन पाया, पर चक्रव्यूह से बाहर निकलने का कथन नहीं सुन पाया और उसके प्राण चले गए। उस एक क्षण की नींद ने अभिमन्यु को चक्रव्यूह से बाहर निकलने का मार्ग नहीं मिलने दिया। इसी प्रकार हम संसार समुद्र से निकलने के लिए गुरु की वाणी नहीं सुनेंगे तो संसार में ही फंसे रह जाएंगे और यही जन्म मरण धारण करते रहेंगे इसलिए हमें गुरु की वाणी ध्यान से सुनना एवं ध्यान से समझना चाहिए जो हमें संसार समुद्र से पार करा सकें। सोते सोते तो जीवन निकलता है, निलता जा रहा है और आगे का भी निकल जाएगा इसलिए हमको हमेशा गुरु की सेवा में तत्पर होने का प्रयास करना चाहिए। सोने से हमारा कल्याण नहीं होगा गुरु के चरणों में भक्ति करने से हमारा कल्याण होगा। 

संकलन- डाॅ. महेन्द्रकुमार जैन ‘मनुज’
22/2, रामगंज, जिंसी, इन्दौर, मो.9826091247

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