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शहर के ऐसे ही बोगदों की रिपोर्ट:इन फ्लायओवर के लिए भी बनी थी पीपल्याहाना जैसी योजनाएं; अब इनके नीचे बिक रही अवैध शराब, कहीं गैराज तो कहीं लकड़ी-लोहे के गोदाम

 

पीपल्याहाना फ्लायओवर के नीचे आईडीए ने खेल गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिए अलग-अलग कोर्ट बनाने की योजना बनाई है। कुछ ऐसी ही योजनाएं पहले भी शहर के रेलवे ओवर ब्रिज और फ्लायओवर के लिए बनाई गई थीं। इसके बावजूद उनका हुआ कुछ नहीं।

केसरबाग ब्रिज : अवैध शराब की बिक्री, किनारे कचरा
पुल के अन्नपूर्णा रोड वाले हिस्से के नीचे की जगह पूरी तरह सुनसान है। यहां दिन में अवैध शराब की बिक्री आसानी से देखी जा सकती है। रेलवे ट्रैक के पास खाली जगह पर दिन में आराम फरमाते और रात में नशाखोरी करते लोग मौजूद रहते हैं। देवेंद्र नगर के पास से दूसरी कॉलोनी की ओर जाने वाली सड़क किनारे और खाली जगह पर कचरे का ढेर लगा है।

माणिकबाग ब्रिज : नीचे चाय दुकानें और कार गैराज
मुख्य हिस्से के ठीक नीचे का हिस्सा चाय-सिगरेट की दुकानों के कब्जे में हैं। खातीवाला टैंक के सामने गैराज संचालकों का कब्जा है। कारें सुधारने के लिए यहां सड़क को चूरी और पेवर्स से बंद कर दिया गया है। त्रिवेणी कॉलोनी और माणिकबाग रोड वाले हिस्से भी गैराज, पार्किंग और फल-सब्जियों की दुकानों के काम आ रहे हैं।

तीन इमली फ्लायओवर : रंगरोगन है, पर अवैध कब्जा भी
बस स्टैंड के सामने पुल के नीचे चाय नाश्ते की दुकानों के साथ कपड़ों की भी दुकानें सजी हैं। इसी हिस्से में आगे की जगह का उपयोग गाय-बैल बांधने के साथ रनगाड़े खड़े करने के लिए किया जा रहा है। पुल के दूसरी ओर के अधिकांश हिस्से में मिट्टी का ढेर है। बची जगह में बंजारों ने रात गुजारने के अस्थायी इंतजाम किए हुए हैं।

राजकुमार ब्रिज : निगम ने ही बना रखा है पोस्टर गोदाम
स्नेहलतागंज वाले हिस्से के नीचे नगर निगम ने गोदाम बना रखा है। शहर में निकाले जाने वाले बैनर-पोस्टरों को यहीं रखा जाता है। वल्लभ नगर वाले हिस्से में भी कंपोस्ट पिट सहित निगम ने दूसरे निर्माण किए हुए हैं। तीसरी भुजा के नीचे दुकानों में साइकिल रिपेयरिंग, गैराज और सैलून सहित कई दुकानें संचालित हो रही हैं। राजकुमार मिल की बाउंड्री का अधिकांश हिस्सा सूना है और सुविधाघर की तरह उपयोग किया जा रहा है।

भंडारी रेलवे ओवर ब्रिज : यहां हो रहा लकड़ी का व्यवसाय
पुल के होप टेक्सटाइल के सामने वाले हिस्से में छोटी-छोटी दुकानें हैं। पुल की भुजा दुकानों के लिए शेड का काम कर रही है। थोड़ा आगे बढ़ने पर शैक्षणिक संस्थानों के साथ निजी बसों की पार्किंग है। मालवा मिल की ओर का हिस्सा पूरी तरह से लोहे और लकड़ियों के गोदाम की तरह उपयोग में आ रहा है। सामने बनी दुकानों और पुल के नीचे रखे सामान के बाद सड़क पर इतनी भी जगह नहीं बचती कि दोपहिया वाहन आसानी से निकल सके।

जूनी इंदौर रेलवे ओवर ब्रिज : एप्रोच रोड पर भी है कब्जा
जूनी इंदौर रेलवे ओवर ब्रिज के बोगदों को भी संवारने की कई कोशिश हुई, लेकिन आज तक इसका कायाकल्प नहीं हो पाया। एक ओर गाड़िया खड़ी होती हैं या रात में नशाखोरी। दूसरी ओर भी कई बार पौधारोपण की बात हुई, लेकिन यहां भी ट्रांसपोर्ट व्यवसायियों के वाहन या निजी लोडिंग रिक्शा खड़े होते हंै। इस क्षेत्र में भी खेल मैदानों की कमी है। पिछले 15 साल में भी यहां के लिए कोई प्लानिंग काम नहीं आ पाई।

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