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अखंड वेदांत संत सम्मेलन:वेदांत का दर्शन और चिंतन अविद्या को विद्या में बदलने का काम करता है : ज्ञानानंद तीर्थ

 

  • दूसरे दिन कोरोना योद्धाओं को किया सम्मानित

भक्ति का शुभारंभ सेवा से करना चाहिए। वेदांत का दर्शन और चिंतन अविद्या को विद्या में बदलने का काम करता है। जीवन में नियमित स्वाध्याय बहुत जरूरी है। ये विचार जगद्गुरु शंकराचार्य भानपुरा पीठाधीश्वर स्वामी ज्ञानानंद तीर्थ ने अखंडधाम आश्रम में 53वें अखिल भारतीय अखंड वेदांत संत सम्मेलन के दूसरे दिन कोरोना योद्धाओं के सम्मान समारोह के दौरान व्यक्त किए।

अध्यक्षता आश्रम के महामंडलेश्वर डाॅ. स्वामी चेतन स्वरूप ने की।

आयोजन के दौरान डाॅ. रवि डोसी, सफाई कर्मचारियों उषा देवी, श्यामा देवी, संजय घावरी, चेतन कुमार, गुड्डू बारसे आदि का सम्मान किया गया। प्रारंभ में जानकीलाल सांखला, हरि अग्रवाल, चंगीराम यादव, दीपक चाचर, संजय शर्मा आदि ने संतों का स्वागत किया। गुरु वंदना स्वामी राजानंद एवं स्वामी दुर्गानंद ने प्रस्तुत की।

संचालन स्वामी नारायणानंद ने किया। आयोजन समिति के विजयसिंह परिहार ने बताया रविवार दोपहर 2 बजे से कोरोना से बचाव एवं उपाय पर व्याख्यान के बाद भक्तों को सैनिटाइजर का वितरण किया जाएगा। दोपहर 3 बजे से संतों के प्रवचन होंगे। शाम 6 बजे शंकराचार्य का पादुका पूजन व सम्मान होगा।

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