*बुनकरों के नाम पर की जा रही है ब्रांडिंग*
बैठक में सचिव श्रीमती मिश्रा ने कहा कि कसरावद आर्ट क्लस्टर में अब तक 407 बुनकर जुड़े है, जिसमें 220 महिलाएं और 187 पुरूष बुनकर शामिल है। इस आर्ट क्लस्टर बुनकर का उद्देश्य आत्मनिर्भर भारत की दिशा में बुनकरों को जोड़कर एक नई ईकाई स्थापित करना और उसकों बढ़ावा देना है। इसी परिप्रेक्ष्य में यहां बनाई जाने वाली सामग्री को बुनकरों का ही नाम देकर ब्रांडिंग की जा रही है। सचिव श्रीमती मिश्रा ने रेखा द्वारा बनाई गई शॉल कलेक्टर श्रीमती अनुग्रह को भेंट की। इसके अलावा उशा द्वारा बनाई गई साड़ी की भी ब्रांडिंग की जा रही है। नावड़ातौड़ी व सायता गांव में रहने वाले बुनकर अपने घरों में ही मटेरियल लाकर बनाने का कार्य कर रहे है। इस कलस्टर में दिव्यांगों के लिए भी एक अलग से प्रोजेक्ट प्रारंभ किया जा रहा है।
*टेक्सटाईल पार्क के लिए सर्वे और व्यवस्थाओं पर जुटेंगे अधिकारी*
बैठक में चेंबर ऑफ कामर्स के अध्यक्ष कैलाश अग्रवाल ने खरगोन में कपास की उत्पादकता को देखते हुए टेक्सटाईल एसोसिएशन से यहां इंड्स्ट्रीज स्थापित करने के लिए चर्चा की थी। इसके उपरांत सुझाव आया कि खरगोन में टेक्सटाईल पार्क के लिए बिजली, पानी और भूमि उपलब्ध हो जाए, तो इससे जुड़ी सभी इंड्स्ट्रीज जैसे हेंडलूम, पॉवरलूम, स्पीनिंग और नीटिंग सभी तरह के कार्य एक स्थान पर हो सकेंगे। इसके लिए कलेक्टर श्रीमती अनुग्रह ने उद्योग विभाग और खरगोन तथा कसरावद एसडीएम को निर्देश दिए कि अपने-अपने क्षेत्रों में ऐसी भूमि तलाषे, जहां पार्क स्थापित किया जा सके। जिला उद्योग के महाप्रबंधक एसएस मंडलोई ने कहा कि इनवेस्टर से मांग और अन्य व्यवस्थाओं के संबंध में पृथक से चर्चा कर लेते है। इसके उपरांत उनकी मांग व सुविधाओं को लेकर विभागों के साथ पृथक से बैठक कर कार्यवाही प्रारंभ की जाएगी।
*एक जिला एक उत्पाद के लिए प्रस्ताव होंगे तैयार*
बैठक में विभिन्न उद्योगपति व अधिकारियों द्वारा प्राप्त सुझावों के आधार पर रूपरेखा बनाकर प्रस्ताव तैयार किए जाएंगे। इस संबंध में कलेक्टर श्रीमती अनुग्रह ने निर्देश दिए कि कॉटन का उत्पादन खरगोन में होता है और इसके लिए शोध केंद्र मंदसौर में है। इसके स्थानांतरण के लिए शासन और जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय जबलपुर को पत्र व्यवहार किया जाएगा। इसके अलावा खरगोन में मिर्च की टेस्टिंग नहीं होने से मसाले खराब होने की स्थिति के बारे में उद्योगपति सौरभ गर्ग ने टेस्टिंग को लेकर सुझाव दिए। कलेक्टर श्रीमती अनुग्रह ने निर्देश दिए कि चिली और कपास इंड्स्ट्रीज व खाद्य प्रसंस्करण को बढ़ावा मिल सके, इसके लिए चिली व कपास के उद्योगपतियों को गुंटूर तथा अमरावती के इंड्स्ट्रीज एरिया में विजिट के लिए प्रस्ताव भी तैयार होगा। इसके अलावा स्पाईस बोर्ड ऑफ इंडिया को चिली पेस्ट और स्पाईस लेब्रोटरी के लिए भी पत्र व्यवहार तैयार होगा।
*मिर्च बीज जांचे जाएंगे*
बैठक में कलेक्टर श्रीमती अनुग्रह ने कहा कि खरगोन में मिर्च किसानों की अक्सर शिकायत रही है कि बीज का अंकुरण शत-प्रतिशत नहीं हो पाता है। इसके लिए अब खरगोन में बिकने वाले व आने वाले सभी मिर्च बीजों की लेब टेस्टिंग कराने के लिए कार्यवाही प्रारंभ कर दी गई है। इसके लिए ग्वालियर लेब्रोटरी में चर्चा हुई है। इस पर भी जल्द निर्णय लिया जाएगा। कलेक्टर श्रीमती अनुग्रह ने उद्यानिकी विभाग व केवीके को निर्देश दिए कि विभाग के अधिकारी और केवीके के वैज्ञानिक जिले में अच्छे मिर्च उत्पादक खेतों का और बिगड़ी हुई फसलों का अवलोकन करेंगे और उसके पश्चात बीज विक्रेता कंपनी, व्यापारी व किसानों के साथ हर विकासखंड में सेमिनार आयोजित करेंगे।
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