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योग- हस्त-मुद्राशास्त्र : अंगुष्ठ या लिंगमुद्रा

 


अंगुष्ठ या लिंग मुद्रा- लिंग संस्कृत का शब्द है जिसका अर्थ पुरुष के जननांग से है। लिंग मुद्रा शरीर की ऊष्मा ऊर्जा को बढ़ाने में मदद करती है। इसे लिंग मुद्रा इसलिए कहा जाता है क्योंकि यह शरीर के अंदर के अग्नि के तत्व पर ध्यान केंद्रित करके शरीर की गर्मी को बढ़ाती है। आमतौर पर हिंदू धर्म में लिंग को भगवान शिव का प्रतीक माना जाता है। लेकिन यह एक योग मुद्रा है जिसमें अंगूठे से लिंग के समान आकृति बनती है। क्योंकि यह अंगुष्ठ से बनती है इसलिए इसे अंगुष्ठ मुद्रा भी कहते हैं। लिंग मुद्रा को आध्यात्म से भी जोड़कर देखा जाता है। यह शरीर के भीतर गर्मी को केंद्रित करने काम करती है। प्राचीन काल में ऋषि मुनि इस मुद्रा का अभ्यास करते थे, लेकिन लिंग मुद्रा का महत्व आज भी उतना ही है। यह शरीर के अग्नि तत्व को संतुलित रखने का कार्य करती है इसलिए निरोगी रहने के लिए प्रत्येक व्यक्ति को लिंग मुद्रा का अभ्यास करना चाहिए। लिंग मुद्रा एक ऐसी मुद्रा है जिसमें हथेली को इंटरलॉक करके शरीर के भीतर विभिन्न तत्वों पर ध्यान केंद्रित करने और उनके प्रवाह को बनाए रखने में सक्षम होती है। हाथ का अंगूठा मनुष्य के शरीर में अग्नि तत्व का प्रतीक होता है। लिंग मुद्रा अग्नि तत्व को मजबूत बनाने का कार्य करती है। आमतौर पर लिंग मुद्रा को ऊष्मा और ऊर्जा की मुद्रा कहा जाता है। 

विधि, अवधि- लिंग मुद्रा का अभ्यास शुरू करने से पहले यह ध्यान रखना चाहिए कि इस मुद्रा के बारे में सही जानकारी होनी चाहिए। जिससे सटीक तरीके से लिंग मुद्रा का अभ्यास कर सकें। लिंग मुद्रा को खड़े होकर या बैठकर दोनों ही स्थिति में कर सकते हैं। सबसे पहले फर्श पर चटाई बिछाकर वज्रासन, पद्मासन या सुखासन में बैठ जाएं। इसके बाद अपनी दोनों हथेलियों को मिलाएं और दोनों हाथों की उंगलियों को इंटरलॉक कर लें। अपने बाएं अंगूठे को ऊपर की दिशा में रखें। दूसरे हाथ की तर्जनी उंगली के बगल से अंगूठे को ऊपर बाहर की ओर निकालें। यह सुनिश्चित करें कि आपका बायां अंगूठा ऊपर की ओर उठा हो और दाहिने हाथ का अंगूठा एवं तर्जनी उंगली के साथ घिरा हो। लिंग मुद्रा को प्रातः-सायं 16-16 मिनट तक करना चाहिए। लिंग मुद्रा का अभ्यास कभी भी किया जा सकता है। लेकिन इसे अधिक देर तक नहीं करना चाहिए क्योंकि यह शरीर में गर्म ऊर्जा को उत्पन्न करती है। सर्दी के मौसम में भी लिंग मुद्रा का अभ्यास करने से व्यक्ति को पसीना होता है। आवश्यकता के अनुसार लिंग मुद्रा का अभ्यास दिन में पंद्रह मिनट तक तीन बार करना चाहिए। सामान्य रूप से सांस लेते एवं छोड़ते रहना चाहिए। कई विशेषज्ञों का मानना है कि लिंग मुद्रा को नियमित रूप से नहीं बल्कि आवश्यकता पड़ने पर करना चाहिए। जैसे कि अगर किसी व्यक्ति को बहुत  ठंडा लगती है, कंपकंपी होती है या फिर सर्दी खांसी और कफ की समस्या है तो इस स्थिति में लिंग मुद्रा का अभ्यास किया जा सकता है। आपने देखा होगा जब बहुत कंप-कंपाती सर्दी लगती है तो दोनों हाथों की उंगलियां आपस में फंसाकर इंटरलांक कर लेते हैं। वस लगभग यही मुद्रा है, इसमें एक अंगूठा ऊपर की ओर निकला रहना है।

लाभ- लिंग मुद्रा सेहत के लिए बेहद फायदेमंद है। विशेषरूप से यह श्वसन से जुड़े विकारों को दूर करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। कफ, बलगम एवं गले की खराश दूर करने सहित लिंग मुद्रा के अनेकों फायदे हैं। यह सांस से संबंधित रोगों एवं अस्थमा के अटैक को ठीक करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। लिंग मुद्रा का अभ्यास करने से गले में कफ जमा नहीं होता और खांसी की समस्या से भी छुटकारा मिलता है। पुरुषों में यौन शिथिलता को दूर करने में भी यह मुद्रा काफी लाभदायक है। लिंग मुद्रा एक ऐसी मुद्रा है जो महिलाओं के लिए बेहद फायदेमंद होती है। माना जाता है कि लिंग मुद्रा का अभ्यास करते समय महिलाएं यौन कल्पनाएं कर सकती हैं और अपनी सेक्सुअल लाइफ को बेहतर बना सकती हैं। लिंग मुद्रा महिलाओं को मानसिक शांति प्रदान करने के साथ ही यौन उत्तेजना बढ़ाने में भी मददगार साबित होती है। यह मुद्रा व्यक्ति के ब्रह्मचर्य की रक्षा करती है। वजन घटाने के लिए लिंग मुद्रा को दिन में तीन बार 15 मिनट तक करने की आवश्यकता पड़ती है। इसके अलावा वजन घटाने के लिए लिंग मुद्रा की शुरूआत करने पर कम से कम दिन में आठ गिलास पानी पीना चाहिए और ठंडा भोजन जैसे दही, चावल, केला और खट्टे फलों का सेवन करना चाहिए। इसके नियमित अभ्यास से अतिरिक्त कैलोरी बर्न होती है। यह शरीर की अतिरिक्त कैलौरी को घटाने का कार्य करती है और मोटापे की समस्या से मुक्ति दिलाती है।

सावधानी - इस मुद्रा का प्रयोग करने पर जल, फल, फलों का रस, घी और दूध का सेवन अधिक मात्रा में करना चाहिए। इस मुद्रा को अधिक लम्बे समय तक न करें। किसी योग प्रशिक्षक का निर्देश लें तो अधिक उपयोगी होगी।

डाॅ. महेन्द्रकुमार जैन ‘मनुज’
22/2, रामगंज, जिंसी, इन्दौर, मो.9826091247

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