हस्त मुद्राओं द्वारा हम आप लंबे समय तक हेल्दी और बीमारियों से मुक्त रह सकते हैं। हमारे ऋषियों द्वारा निर्दिष्ट हस्त-मुद्राएं बनाने का विधान निष्प्रयोजन नहीं है। कालिका पुराण में कहा गया है-
मुद्रंा बिना तु यज्जाप्यं प्राणायाम् सुरार्चनं।
योगोध्यानासनं चापि निष्फलानि तु भैरव।।
अर्थात् मुद्रा के बिना किया गया जप, तप, योग, ध्यान, आसन व देवताओं की पूजा निष्फल हो जाती है। उचित मुद्रा-प्रदर्शन से देवता ही नहीं, राक्षस भी प्रसन्न हो जाते हैं। मुद्राओं से मूर्छित व्यक्ति में भी चेतना का संचार किया जा सकता है और रोगी व्यक्ति को आसानी से स्वस्थ किया जा सकता है। ‘मुद्रा’ शब्द से सामान्य तौर पर किसी आकृति विशेष का ही बोध होता है। जो किसी वस्तु या वस्तु समूह को किसी खास आकार में रखने से निर्मत होती है। यदि मनुष्य भी अपने किसी एक या अनेक अंगों को किसी आकृति विशेष में सजा देते हैं तो उसे भी मुद्रा कहा जाता है। हस्तमुद्राओं के जो नाम है वे कि विशेष वस्तु या आकार आदि से संबंधित हैं जिससे आसानी से समझ में आ सकें। आइये जानते हैं हस्त मुद्राओ में से एक मुद्रा पंकज मुद्रा के बारे में।
पंकज मुद्रा- पंकज अर्थात् कमल। अपने हाथों की अंगुलियों से कमल का आकार बनाना पंकज मुद्रा है। हमारे समाज में पंकज (कमल ) को पवित्र समझा जाता है। आध्यात्मिक दृष्टि में भी पंकज को महत्वपूर्ण समझा जाता है। जैसे पंकज (कमल) कीचड़ में उगता है। लेकिन कमल कीचड़ से अलिप्त रहता है। वैसे ही व्यक्ति के भीतर सब सेे न्यारा और सब के प्यारे गुणों का विकास होता है। जो आध्यात्मिक उन्नति के लिए बहुत जरूरी विशेेषता है। पंकज मुद्रा पवित्रता का प्रतीक है और हृदय के चक्र को खोलता है।
मुद्राविधि, समय व अवधि- सबसे पहले आप जमीन पर कोई चटाई या योगा मैट बिछा लें। उस पर पद्मासन या सिद्धासन में बैठ जाएँ। या आराम की स्थिति में कुर्सी पर बैठ सकते हैं। ध्यान रहे कि आपकी रीढ़ की हड्डी सीधी हो। अब अपने दोनों हाथों को छाती के सामने लाकर अंजनी मुद्रा बना लें। दोनों हाथों के अंगूठे और छोटी (कनिष्ठा) उंगलियों को स्पर्श करें। हथेलियों के आधार को एक साथ मिलाकर रखें। फूल की कली के समान अन्य उंगलियों को खोल दें। इसे स्थिर रखें, इस आसन को सीने के पास बनाए रखें। अपनी उंगलियों को बहुत तेजी से न दबाएं, बहुत आराम से प्रेस करें। आँखे बंद रखते हुए श्वांस सामान्य बनाएँ। अपने मन को अपनी श्वांस की गति पर व मुद्रा पर केंद्रित रखिए। मुद्रा करते समय, आपको एक गहरी और नियमित सांस लेने की आवश्यकता होती है। इस दौरान आप एक ही अवधि में अंदर और बाहर सांस लें। इस क्रिया को करते समय आप मन में किसी प्रकार का मंत्र जप कर सकते हैं। या ओम अथवा ओम् नमः का उच्चारण भी कर सकते हैं। बच्चों से लेकर बड़े कर सकते हैं। इस क्रिया को करते हुए लगभग 20 से 30 बार सांस ले और छोड़ें। अब अपने दिमाग पर ध्यान देने की कोशिश करें। आप अपने शरीर में अचानक कंपन महसूस करेंगे, एक स्थिति पर आकर आपका शरीर हल्का महसूस होने लगेगा। आप मुद्रा को करते हुए इसके परिणाम को अचानक महसूस करेंगे। यह अभ्यास करते समय आपको एकाग्रचित होकर यह आसन करने की आवश्यकता है। जिसके बाद ही आप अपने शरीर में ऊर्जा महसूस कर सकते हैं। और इस अवस्था में कम से कम 16 मिनट तक रहना चाहिये। अभ्यास के निर्धारित समय के बाद, धीरे-धीरे अपनी आँखें खोलें। अपने हाथों को अलग करें और उन्हें अपनी जांघों या घुटनों पर वापस लाएं। आराम करें और खुलकर सांस लें। आप इस आसान और साधारण सी एक्सरसाइज को करके कई समस्याओं को दूर कर सकती हैं।
लाभ- पंकज योग मुद्रा से शरीर में खून से सम्बन्धित दोष दूर होते हैं। इससे शरीर की शुद्धि होती है, शरीर निर्मल हो जाता है, बुखार और व्रण (घाव) ठीक होते हैं, से अल्सर रोग में लाभ, स्नायु तंत्र मजबूत बनता है। रीढ़ की हड्डी मजबूत, खुबसूरती बढ़ती है। शरीर व चहरे की आभा बढ़ती है। दूसरों के प्रति प्यार, स्नेह, सम्मान की भावनाओं का विकास, मन शान्त और स्थिर, नफरत की भावना समाप्त होती है। इससे चैथा चक्र अनाहत चक्र जाग्रत होता है।
सावधानियाँ - यह पंकज योग मुद्रा खाली पेट करनी चाहिए। इसे करते समय आपका ध्यान भटकना नहीं चाहिए। जिन को कफ की समस्या है, वो लोग पंकज योग मुद्रा को न करें। सर्दियों के मौसम में पंकज योग मुद्रा को अधिक समय तक नहीं करना चाहिए। इससे कफ दोष (सर्दी, खांसी, श्वांस सम्बंधित दोष ) बढ़ने कि सम्भावना होती है। इसे शोर व् गंदे स्थान पर नहीं करना चाहिए। यह मुद्रा को करने से अगर आपकी सभी बीमारियां ठीक हो जाएं, तो फिर इस मुद्रा को करना बंद कर देना चाहिए। इसे करने से पहले अच्छी तरह से सीख लें। बेहतर यही होगा कि इस मुद्रा को करने के दौरान आप किसी एक्सपर्ट की सलाह जरूर ले लें।
डाॅ. महेन्द्रकुमार जैन ‘मनुज’
22/2, रामगंज, जिंसी, इन्दौर, मो.9826091247
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