- एटूजेड से अनुबंध टूटने के बाद इंदौर और लुधियाना निगम के काम करने का अंतर देखिए
शहर के सेकेंडरी पाॅइंट से कूड़ा उठाने और प्रोसेसिंग करने वाली कंपनी एटूजेड से निगम का अनुबंध 12 दिन पहले टूट चुका है। इसके बाद नगर निगम लुधियाना ने कूड़े की डोर-टू-डोर कलेक्शन, लिफ्टिंग और प्रोसेसिंग के लिए अलग से तीन टेंडर लगाने की तैयारी शुरू कर दी है, जिससे निगम पर करोड़ों का बाेझ अलग से बढ़ने वाला है।
वहीं अभी तक निगम 9 सालों से एटूडेज कंपनी को 12.77 करोड़ रुपए सालाना अदा कर रहा था। डोर टू डोर कलेक्शन, लिफ्टिंग और प्रोसेसिंग के लिए तीनों अलग टेंडर लगा करोडों का बोझ बढ़ाने के लिए डीपीआर तैयार की जा रही है। वहीं, इसी काम को इंदौर निगम ने एटूजेड कंपनी से अनुबंध टूटने के उपरांत इंदौर निगम ने खुद डोर-टू-डोर कलेक्शन और लिफ्टिंग की कमान संभाली, जबकि कूड़े की प्रोसेसिंग निजी कंपनी को पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप माॅडल पर सौंपते हुए सालाना 1.41 करोड़ रुपए कमाई का जरिया बनाया। जबकि नगर नगम लुधियाना की ओर से करोड़ों रुपए का बोझ बढ़ाने की तरफ जोर दिया जा रहा है।
इंदौर से सीखिए वेस्ट मैनेजमेंट- इंदौर में अहमदाबाद की नेप्रा कंपनी ने पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप(पीपीपी मोड) पर खुद मशीनें लगाईं। निगम ने मशीन और प्लांट के लिए कंपनी को करीब चार एकड़ जमीन दी। 10 साल का कंपनी से अनुबंध हुआ और कंपनी हर साल 1.41 करोड़ रुपए इंदौर की निगम को दे रही है। जो रैगपिकर्स पहले काम कर रहे थे, उन्हें कंपनी के पास ही काम पर लगवा दिया।
रोजाना करीब 600 मीट्रिक टन ड्राई वेस्ट की प्रोसेसिंग कर हाईटैक मशीन 20 से ज्यादा तरह के सूखे कचरे की अलग-अलग छंटनी कर रही है। इसमें कोल्ड डिंक्स की बॉटल, 10 तरह की प्लास्टिक वैरायटी, कपड़ा, चमड़ा, रबर और कागज की छंटनी की जा रही है। जिसे कंपनी अपने स्तर पर ही बेच कर खुद तो पैसा कमा रही है, साथ में निगम को भी शेयर दे रही है। बाकी का करीब 600 मीट्रिक टन गीले कूड़े की प्रोसेसिंग का काम इंदौर निगम ने खुद संभाला है, जिससे निकलने वाला आरडीएफ बेचा जाता है और कंपोस्ट से बनने वाली खाद को खुद यूटीलाइज करते हैं, जबकि किसान भी वहां से खाद ले जाते हैं।
अभी एमरजेंसी में ये किया है प्रबंध - एटूजेड की ही सबलेट कंपनी को निगम ने सेकेंडरी डंप से सिर्फ कूड़ा लिफ्टिंग करने का काम सौंपा है। जिसे प्रति दिन का करीब 3.50 लाख रुपए अदा करेगा। जबकि एटूजेट को 9 सालों से सालाना 12.77 करोड़ अदा कर चुका है। जो अब तक 137 करोड़ बनता है।
पीपीपी मॉडल पर काम करने वाली कंपनी को देंगे पहल- मैंने इंदौर निगम की स्ट्डी की है। ये बात सही है कि वहां पर कूड़े की प्रोसेसिंग से निगम को आमदनी हो रही है। हम भी ऐसी कंपनी को पहल देंगे जो पीपीपी मॉडल पर काम करना चाहती है। ऐसी कंपनियों से संपर्क करने के लिए निगम अधिकारियों काे आदेश जारी करेंगे और टेंडर में भी ये प्रक्रिया शामिल की जाएगी। -बलकार संधू, मेयर, लुधियाना
डोर-टू-डोर कलेक्शन, लिफ्टिंग संभाले निगम- इंदौर में डोर-टू-डोर सीधे क्लोज्ड कंटेनर व्हीकल जाते हैं, जिसमें गीला-सूखा कूड़ा अगल डाला जाता है- यहां पर कूड़ा कलेक्शन ओपन रेहड़ों में हो रही है, जिसे बंद कर गाड़ियों खरीदनी होंगी।
इंदौर में सभी काॅम्पेक्टर पर ट्रेनिंग लेकर कर्मी काम कर रहे हैं। लुधियाना में अभी 5 काॅम्पेक्टर ही लगे जहां बिना ट्रेनिंग के कर्मी काम कर रहे हैं।
इंदौर में निगम ही 100 फीसदी सेग्रीगेशन यकीनी बनाता है। हमारे यहां डोर-टू-डोर कूड़ा कलेक्शन निजी लोग कर रहे, जिस कारण गीला-सूखा कूड़ा मिक्स हो रहा है।
इंदौर में सही तरीके से माॅनीटरिंग की जाती है। लुधियाना में सही माॅनीटरिंग हो तभी सिस्टम सही हो पाएगा।
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