- दिलीप बिल्डकॉन और जनरल कंसल्टेंट के बीच ड्राॅइंग-डिजाइन का झगड़ा ही नहीं सुलझा पाए अफसर
- 43 पिलर के लिए सिर्फ गड्ढे खुदे
मेट्रो को लेकर गुरुवार को भोपाल में मुख्यमंत्री ने अफसरों की बैठक ली। इसमें उन्होंने कहा कि जिसे बदलना है, बदल दीजिए, लेकिन काम में गति लाइए। सवाल यह है कि आिखर इंदौर में मेट्रो के काम में गति कैसे आएगी, जब 14 महीनों से अफसर कांट्रैक्टर दिलीप बिल्डकॉन और जनरल कंसल्टेंट के बीच ड्राॅइंग-डिजाइन का झगड़ा ही नहीं सुलझा पाए हैं।
नवंबर 2018 में वर्क ऑर्डर जारी होने के बाद से अब तक मेट्रो के नाम पर इंदौर में दो अधूरे पिलर और कुछ टीन शेड दिखते हैं, जबकि कांट्रैक्टर को 27 महीने में कुमेड़ी से मुमताज बाग (शहीद पार्क) तक वाया डक्ट खड़ा करना था। यह अवधि पूरी हो गई है। अनलॉक के बाद दिसंबर में बमुिश्कल 10 दिन काम हुआ।
इंदौर मेट्रो की घड़ी उलटी ही चली
- 43 पिलर के लिए सिर्फ गड्ढे खुदे
- 127 ड्राॅइंग-डिजाइन का अप्रूवल अब तक अटका है
- 10 दिन काम चला है अनलॉक के बाद
भोपाल- वही कांट्रैक्टर-वही कंसल्टेंट: 112 पिलर, 25 गर्डर डल चुके
भोपाल मेट्रो का काम इंदौर के बाद शुरू हुआ था। 27 महीने में यहां 112 पिलर और 25 गर्डर डाले जा चुके हैं। इंदौर मेट्रो के लिए 7500.8 करोड़ व भोपाल के लिए 6941.4 करोड़ स्वीकृत हुए हैं। इंदौर का रूट 31.55 किमी की पूरी रिंग है जबकि भोपाल में करीब 27 किमी के दो रूट हैं। यहां भी वही कांट्रैक्टर और कंसल्टेंट हैं, वहां के काम को लेकर दोनों में कोई टसल नहीं है।
नागपुर- 50 महीने में 25 किमी के ट्रैक पर दौड़ने लगी मेट्रो
देश में सबसे बेहतर मेट्रो का मॉडल नागपुर मॉडल ही माना जा रहा है। नागपुर मेट्रो का भूमिपूजन 31 मई 2015 को हुआ और 21 अप्रैल 2018 को 6 किमी की जॉय राइड (फ्री राइड) शुरू कर दी थी। पहली कमर्शियल लाइन 9 मार्च 2019 को शुरू हुई। 50 महीने में 25 किमी का ट्रैक तैयार कर दिया। चार रीच में 38 किमी का ट्रैक बन रहा है। इनमें से एक स्टेशन चार मंजिला होगा।
इंदौर मेट्रो को लेकर फंड की कोई समस्या नहीं है। कुछ इशु हैं, जो सुलझा लिए जाएंगे। जल्द ही वहां काम शुरू होगा।
-जितेंद्र दुबे, टेक्निकल डायरेक्टर, मेट्रो मप्र
0 टिप्पणियाँ