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इन बोरियों में कैद है:28 सालों से अधूरा, 1100 लोगों के घरों का सपना

 

मंगलवार को दस्तावेज कोषालय से कलेक्टोरेट लाए गए हैं। नए सिरे से जांच शुरू की जा रही है।
  • नए सिरे से जांच शुरू की जा रही है।

वैसे ये आम बोरी हैं, लेकिन इनमें कैद दस्तावेज कागज के टुकड़े नहीं बल्कि 28 साल से अधूरे घरों के सपने हैं। जो 1100 परिवारों ने देखे थे। उम्मीद थी, मजदूर पंचायत संस्था की पुष्पविहार कॉलोनी में घर होगा, जिसके लिए सारी जमा पूंजी निकाल दी थी। मंगलवार को दस्तावेज कोषालय से कलेक्टोरेट लाए गए हैं। नए सिरे से जांच शुरू की जा रही है। उम्मीद है, ये बोरियां जब खुलेंगी तो उनमें से लोगों के सपने साकार होकर निकलेंगे।

1055 करोड़ मुआवजा बना IDA 1 करोड़ भी न दे सका

  • 60 एकड़ जमीन है, 1988 से 2005 के बीच 1158 सदस्यों की रजिस्ट्री हुई 124 बाकी रहे।
  • 1993 में आईडीए ने यहां स्कीम 132 घोषित कर दी।
  • 2009 में आइडीए ने कोर्ट के फैसले के अनुसार यहां नई स्कीम 171 घोषित की।
  • 1055 करोड़ मुआवजा बना पीड़ितों का, आईडीए दे नहीं पाया।
  • स्कीम लैप्स हो चुकी है। जमीन को लेकर 25 केस चल रहे हैं।
  • कलेक्टर मनीष सिंह व विधायक महेंद्र हार्डिया ने पीड़ितों से बैठक की है। महू एसडीएम को जांच सौंपी है।

मेरी उम्र 73 साल हो चुकी है। 1988 से प्लॉट का इंतजार कर रहा हूं। आईडीए स्कीम नहीं लाता तो हम कब से यहां अपने मकान बना लेते। देरी हुई तो कुछ गुंडे, माफिया भी आ गए।

- एम के मिश्रा, पीडि़त व संघर्ष समिति के महासचिव

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