बेसहारा बुजुर्गों को नगर सीमा से बाहर करने की घटना ने भले ही इंदौर को शर्मसार किया हो, लेकिन ये हमारी पहचान नहीं है। यदि आपको असली इंदौर देखना है तो नए और पुराने पुलिस कंट्रोल रूम चले आइए। यहां बुजुर्गों को पलकों पर रखा जाता है।
पुराने पुलिस कंट्रोल रूम में पुलिस और नगर सुरक्षा समिति की टीम सीनियर सिटीजन योजना चलाती है, जिसमें तीन साल में 26 हजार से ज्यादा बुजुर्गों को जोड़ा गया। हर महीने 500 से ज्यादा बुजर्गों की मदद की जाती है। दूसरी तरफ रिटायर्ड अफसरों की टीम नए पुलिस कंट्रोल रूम पलासिया के पास बुजुर्गों की शिकायतों का निराकरण करती है।
टीम ने पांच साल में 900 से ज्यादा बुजुर्गों को न्याय दिलाया है। पलासिया थाने के पीछे स्थित संस्था अमराई वरिष्ठ नागरिक केंद्र की स्थापना 2014 में हुई थी। इसे रिटायर्ड डीएसपी एनएस जादौन की टीम संभाल रही है। जादौन ने बताया कि देखने में आता था कि हमारे बुजुर्ग न्याय के लिए इधर-उधर भटकते थे। उनकी सुनवाई नहीं होती थी। कई लोगों को तो यह भी पता नहीं था कि वे कहां गुहार लगाएं। उनकी समस्याओं को देखते हुए उनकी टीम ने यहां केंद्र की स्थापना की। छह साल में 900 से ज्यादा प्रताड़ना के केस आए हैं। इसमें बहू-बेटे से प्रताड़ना के 630 से ज्यादा केस हैं।
{बिजली बिल भरना, भोजन-दवा पहुंचाना और मुफ्त में कंसल्ट कर कानूनी मदद करते हैं यहां {हफ्ते में पांच दिन बुजुर्गों की चौपाल भी लगाते हैं रिटायर्ड अफसर {सबसे ज्यादा केस बेटे-बहू से परेशान होने के आने पर समझाइश से सुलझाते हैं
हर सोमवार-शुक्रवार को सुनवाई... समझाइश से नहीं मानते तब भेजते हैं थाने
सोमवार से शुक्रवार तक सुनवाई होती है। प्रताड़ना और भरण पोषण के मामले में बहू बेटों को बुलाकर टीम काउंसलिंग करती है। यदि वे नहीं मानते हैं तो फिर मामला थाने में या कोर्ट में भेजते हैं। इस टीम में इस टीम में जादौन के अलावा केके बिड़ला, डॉ. आरके शर्मा, जीएम पाठक, एमसी शर्मा, एमसी गोयल, आनंद श्रीवास्तव, ओपी यादव, ओम दरबार, राकेश अजमेरा, बृजेश यादव व रेणु कोतवाल शामिल हैं।
हिफाजत ऐसी.. बेटों की तरह रखते हैं ध्यान, आधी रात को भी फोन लगाते हैं सीनियर
1. नगर सुरक्षा समिति की टीम ने एएसपी प्रशांत चौबे के साथ मिलकर सीनियर सिटीजन योजना शुरू की है। नसुस प्रमुख रमेश शर्मा की अगुआई में 2017 में यह अभियान शुरू हुआ। इसमें सीनियर सिटीजन का पूरा डाटा इंदौर पुलिस ने रखा। सभी सीनियर सिटीजन को पहचान पत्र बनाकर दिए गए, जिसमें संबंधित थानों के नंबर और हेल्पलाइन नंबर भी दिए गए।
2. हर माह 500 को मदद...नसुस के संजय शर्मा ने बताया कि शहर में कई सीनियर सिटीजन अकेले रहते हैं। उनका खयाल विशेष तौर पर रखा जाता है। हफ्ते दो हफ्ते में उन्हें फोन लगाकर हाल जाना जाता है। नसुस के सदस्य कई सीनियर सिटीजन के बिजली के बिल, दवा लाने से लेकर छोटे-बड़े काम करते हैं। 500 बुजुर्गों की हर माह मदद की जा रही है।
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