इंदौर मेट्रो ट्रेन प्रोजेक्ट को चार साल हो गए हैं, लेकिन इसका काम 1 फीसदी भी नहीं हुआ। इसे बेपटरी करने के लिए जिम्मेदार हटाए गए टेक्निकल डायरेक्टर जितेंद्र दुबे ने कौन सी गलतियां की, तीन शहरों के मेट्रो प्रोजेक्ट के एक्सपर्ट से ही जाना।
अहमदाबाद मेट्रो के टेक्निकल डायरेक्टर सहदेव सिंह, दिल्ली के डीके सैनी और जयपुर के जीएस भावरिया कहते हैं कि मेट्रो प्रोजेक्ट के लिए टेक्निकल डायरेक्टर का पद ही की-रोल अदा करता है। टेक्निकल डायरेक्टर, जनरल कंसल्टेंट (जीसी) और कॉन्ट्रेक्टर के बीच की वह सबसे अहम कड़ी होता है, जो पूरे प्रोजेक्ट की जिम्मेदारी लेता है।
इसके लिए जरूरी है कि टेक्निकल डायरेक्टर मेट्रो, रेलवे, पीडब्ल्यूडी, एनएचएआई या सिविल इंजीनियरिंग की फील्ड का हो। इंदौर मेट्रो के टेक्निकल डायरेक्टर का काम वेयर हाउसिंग कॉरपोरेशन के व्यक्ति को दिया जाना ही प्रोजेक्ट फेल होने का कारण है।
दुबे की इन 4 गलतियों के कारण 4 साल निकले खाली
1. सबसे पहले जनवरी 2018 में इंदौर मेट्रो के लिए जियो टेक्निकल सर्वे शुरू हुआ, इसे तकनीकी गड़बड़ी बताकर बीच में ही रोक दिया गया। इससे प्रोजेक्ट के अंडर ग्राउंड काम की रूपरेखा ही नहीं बन सकी। 2. इंदौर मेट्रो के लिए सिस्मिक जोन-2 से बढ़ाकर 3 किया और फिर जानबूझकर जोन 4 के हिसाब की प्लानिंग करवाई। एमपीएमआरसीएल का एक भी अफसर पदस्थ नहीं किया गया, जिससे जनरल कंसल्टेंट निरंकुश हो गए। 3. दिलीप बिल्डकॉन द्वारा दी गई 127 ड्राइंग डिजाइन जीसी ने रोकी। इसमें टेक्निकल डायरेक्टर का जिम्मा था उसका समाधान करें। लॉकडाउन में पूरे देश में काम चला इंदौर मेट्रो को कलेक्टर की अनुमति के बाद शुरू नहीं हुआ।
4. 29 स्टेशन में किसी की भी ड्राइंग या डिजाइन फाइनल नहीं हो सकी। मेट्रो के कोच का न अभी तक ऑर्डर दिया गया और न उनकी डिजाइन फाइनल हो सकी। इस कारण से चार साल में एक फीसदी भी काम नहीं हो पाया।
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इंदौर मेट्रो की बर्बादी गलत टेक्निकल डायरेक्टर की पदस्थापना से हो गई, आपके पास कितना अनुभव है?
- मैं 1980 बैच रुड़की आईआईटी से पास आउट हूं। मुझे 40 साल का तजुर्बा है। 8 साल पीडब्ल्यूडी में इंजीनियर इन चीफ रहा हूं। 2008 से ढाई साल मैंने भारत के साथ, बांग्लादेश, श्रीलंका, मालदीव, भूटान और नेपाल में ट्रांसपोर्ट, रेलवे और रोड इंजीनियरिंग को लेकर काम किया।
इंदौर मेट्रो को लेकर आपकी क्या प्लानिंग है?
- अभी तो प्लानिंग तैयार करूंगा। इतना जरूर है कि प्रोजेक्ट सफल तभी होता है जब उसे अपना मानकर पूरा करने में जुट जाए। दूसरों पर जिम्मेदारी ढोलने से प्रोजेक्ट कभी पूरा नहीं होता।
जनरल कंसल्टेंट व दिलीप बिल्डकाॅन का विवाद नहीं सुलझा, आपका क्या एक्शन प्लान है?
- मेरी विशेषज्ञता कान्ट्रेक्ट एडमिनिस्ट्रेशन और प्रोजेक्ट मैनेजमेंट में है। कान्ट्रेक्ट मैनेजमेंट में यह देखना होता है कि किसकी क्या जिम्मेदारी और जवाबदारी है। ठीक से काम हो रहा है या नहीं। गलती कौन कर रहा है। वहीं प्रोजेक्ट मैनेजमेंट में पता चलता है कि जनरल कंसल्टेंट और कंसल्टेंट ठीक से काम कर रहे हैं या नहीं। किस पार्ट पर व्यवधान आ रहा है। इसे कैसे दूर किया जाएगा।
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