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फिर बढ़ने लगे कोरोना के केस:पिछले 4 दिनों से आ रहे 100 से ज्यादा मरीज, 8 दिनों में डबल से ज्यादा हुए एक्टिव मरीज; संक्रमण दर 7.17 फीसदी पर पहुंची

 

इंदौर में एक बार फिर से कोरोना के मरीज बढ़ने लगे हैं। इसका कारण कोरोना गाइड लाइन का पालन नहीं होना कहा जा रहा है।
  • मास्क नहीं पहनने और सोशल डिस्टेंसिंग नहीं रखने की लापरवाही पड़ रही भारी

इंदौर में एक बार फिर से कोरोना रिटर्न हुआ है। इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि 20 दिन पहले जिन मरीजों की संख्या 18 तक पहुंच गई थी। वहीं, पिछले 4 दिनों से लगातार संक्रमितों की संख्या 100 से ऊपर आ रही है। देर रात 104 नए मरीज मिले हैं। एक्टिव केस में भी जबरदस्त इजाफा हुआ है। पिछले 8 दिन की बात करें तो यह डबल से भी ज्यादा हो गया है। 13 फरवरी को एक्टिव मरीज 291 थे जो अब बढ़कर 660 हो गए हैं। संक्रमण दर भी 7.17 फीसदी पर पहुंच गई है। अच्छी बात यह है कि रिकवरी रेट 97.29 तक पहुंच गया है। जानकारों की माने तो कोरोना गाइड लाइन के पालन में लापरवाही के कारण आंकड़ा बढ़ा हैै।

प्रतिदिन 49 मरीज हो रहे भर्ती
सात दिन पहले अस्पतालों में हर दिन औसतन 20 से 25 मरीज भर्ती हो रहे थे, जो अब हर दिन 100 मरीज सामने आने के बाद बढ़कर 49 हो गए हैं। गंभीर मरीज भी बढ़ रहे हैं। कुल 49 मरीज ICU में भर्ती हैं। वायरस के नए स्ट्रेन की आशंका व्यक्त की जा रही है। इसकी जांच के लिए भी दिल्ली सैंपल भेजे जा रहे हैं, जिससे पता चल सके कि वायरस का नया स्ट्रेन तो इंदौर में सक्रिय नहीं हो गया है। इसके पहले ब्रिटेन में पाए गए वायरस के नए स्ट्रेन के मरीज भी इंदौर में मिले थे।

100 दिन बाद रिपोर्ट पॉजिटिव आने पर माना जाएगा री-इन्फेक्शन
स्वास्थ्य विभाग ने बीते 11 माह में ऐसे सात केस चिन्हित किए जिन्हें दोबारा संक्रमण हुआ। इनकी जांच का जिम्मा MGM मेडिकल कॉलेज की टीम को दिया गया। लेकिन जब इनका रिव्यू किया गया तो इनमें से एक भी केस ऐसा नहीं था जिसकी कोविड-19 की दूसरी जांच रिपोर्ट 100 दिन बाद फिर से पॉजिटिव मिली हो। इनमें से किसी व्यक्ति को 40 दिन तो किसी को 60 दिन में दाेबारा संक्रमण हुआ। इस कारण इन्हें रि-इनफेक्शन के केस नहीं माने जा रहे हैं।

दरअसल इंडियन काउंसिल फॉर मेडिकल रिसर्च व सरकार की गाइड लाइन के अनुसार किसी भी व्यक्ति की दो पॉजिटिव रिपोर्ट में कम से कम 100 दिन का अंतर होना चाहिए। यानी दोबारा संक्रमण होना तब माना जाएगा जब उसकी दूसरी रिपोर्ट 100 दिन बाद पॉजिटिव आई हो। इसके अलावा दोनों पर उनमें बीमारी के कोई लक्षण भी सामने आए हो। इंदौर में जो सात मामले सामने आए, उनमें से कोई भी ऐसा नहीं था जिसमें किसी व्यक्ति की 100 दिन बाद संक्रमित हो गया हो। इसलिए इसे रि-इनफेक्शन की श्रेणी में नहीं रखा जा रहा।

तीन महीने तक शरीर में मौजूद रहता है डेड वायरस
कोविड-19 संक्रमण का पता लगाने के लिए आरटी पीसीआर जांच करवाई जाती है। इस जांच में वायरस का पता नहीं चलता है। मॉलीक्यूल का पता लगाया जाता है। इसका मतलब डेड वायरस शरीर में तीन महीने तक मौजूद रहता है। जिसका जांच में पता लगाया जाता है। इंदौर में जिन मरीजों की दो से तीन महीने के अंदर जांच रिपोर्ट पॉजिटिव आई है। इसलिए ऐसा माना जा रहा है कि यह रि-इनफेक्शन की बजाय वायरस का रि-एक्टिवेशन हो सकता है।

इंदौर में देर रात 104 केस सामने आए
इंदौर में देर रात 1971 टेस्ट में से 1850 की रिपोर्ट निगेटिव आई, जबकि 104 पाॅजिटिव मिले। 17 मरीजों की रिपोर्ट रिपीट पाॅजिटिव आई। अब तक जिले में 8 लाख 22 हजार 186 टेस्ट किए जा चुके हैं। इसमें 58 हजार 860 मरीज संक्रमित मिले। 57 हजार 269 ठीक होकर घर लौट गए, जबकि 931 की वायरस ने जान ले ली। वहीं, मप्र की बात करें तो 56 लाख 78 हजार 980 टेस्ट हो चुके हैं। देर रात 14 हजार 834 टेस्ट रिपोर्ट में से 14 हजार 534 मरीज निगेटिव मिले। कुल 2 लाख 59 हजार 531 मरीजों में से 2 लाख 53 हजार 980 ठीक होकर घर लौट चुके हैं।

लोग मास्क पहनें, सैनिटाइजर का उपयोग करें
कमिश्नर डॉक्टर पवन शर्मा ने कहा कि फिर से मरीज बढ़ रहे हैं और इसके लिए मॉनिटरिंग तेज कर दी है। स्ट्रेन की जांच भी करा रहे हैं। लोगों से अपील की है कि वह मास्क पहनें और सैनिटाइजर का उपयोग करें।


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