प्रदेश की संस्कृति, पर्यटन एवं अध्यात्म मंत्री सुश्री उषा ठाकुर ने कन्या पूजन एवं दीप प्रज्ज्वलित कर विश्व विख्यात खजुराहो नृत्य के 47वें समारोह का शुभारंभ किया। इस अवसर पर प्रमुख सचिव संस्कृति विभाग श्री शिवशेखर शुक्ला, सागर के जिला एवं सत्र न्यायाधीश सागर श्री पाटिल, डीआईजी श्री विवेकराज सिंह, कलेक्टर श्री शीलेन्द्र सिंह, एसपी श्री सचिन शर्मा, एएसआई श्री सुदीप नयन, संस्कृति विभाग के संचालक अदिति जोशी विशेष रूप से उपस्थित थे।
इस आयोजन की मुख्य विशेषता यह रही कि 44 वर्षों के बाद 47 वां खजुराहो महोत्सव मां जगदंबा और कंदरिया महादेव मंदिर के प्रांगण में शुरू हुआ। वहीं भारत माता के चित्र पर पुष्पांजलि अर्पित की।
मुख्य अतिथि सुश्री उषा ठाकुर ने कहा कि कोविड-19 की चुनौतियों को मुक्ति का संदेश देता यह भारत न सिर्फ आर्थिक उपार्जन की गतिविधियों को सुदृढ़ कर रहा है अपितु सामान्य जीवन की ओर अग्रसर हो रहा है। खजुराहो चंदेलकालीन अमूल्य धरोहर की गाथा है। यह भारतीय मूल दर्शन का चित्रण है। इसमें अर्थ, धर्म, काम और मोक्ष विद्यमान है। खजुराहो शाक्य, शिव और वैष्णव के अद्भुत संगम की स्थली है। 1838 में ब्रिटिस कैप्टन बट ने खजुराहो को तलाशा। यह 1986 में यूनेस्को में दर्ज हुआ। उन्होंने कहा कि वास्तविक भारत की बाह्य जगत से अंतर जगत की यात्रा का साक्षात प्रमाण है। भारतीय वैदिक जीवन पद्धति दिव्य, विराट और सभी को समाहित करके चलने वाली है। उन्होंने नागरिकों का आव्हान करते हुए कहा कि आप सुझाव एवं मार्गदर्शन करें। स्थानीय लोगों की सहभागिता से ही संस्कृति पुरातत्व चरमोत्कर्ष तक पहुंचेगा। उन्होंने कहा कि 21वीं शताब्दी में भारत जगत गुरू बनने की ओर अग्रसर है। हमें भारतीय वैदिक जीवन पद्धति को अपनाना होगा।
*मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान का वर्चुअल संदेश*
मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने खजुराहो नृत्य समारोह के कलाकार साथियों को हृदय से स्वागत किया। उन्होंने बताया कि इस बार का नृत्य समारोह अपने आप में अनूठा है। यह मंदिर प्रांगण में 44 वर्षों बाद हो रहा है। इसका आयोजन 1975 में शुरू हुआ। खजुराहो सिर्फ समारोह ही नहीं है अपितु यह उपासना, साधना और आराधना भी है। उन्होंने कहा कि खजुराहो आयोजन के 50 वर्ष होने पर इसके आयोजन को भव्यता प्रदान की जाएगी।
प्रमुख सचिव संस्कृति विभाग श्री शिवशेखर शुक्ला ने खजुराहो नृत्य समारोह के आयोजन पर प्रकाश डाला। इस अवसर पर उस्ताद अलाउद्दीन खा संगीत एवं कला अकादमी भोपाल द्वारा ललित कला पुरस्कार की 10 विभिन्न क्षेत्रों के लिए मूर्धन्य कलाकार प्रतिभाओं को पुरस्कार प्रदान कर शाल-श्रीफल से उनका सम्मान किया। प्रत्येक पुरस्कारों के लिए 51 हजार रूपए की राशि दी गई। आभार प्रदर्शन संस्कृति विभाग के संचालक अदिति जोशी ने माना।
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