डीएनएस अस्पताल में लिफ्ट गिरने के हादसे ने व्यवस्थाओं से जुड़ी कई खामियों का खुलासा कर दिया है। शहर में कितनी लिफ्ट लगी हैं, कौन सी बिल्डिंग की लिफ्ट की जांच बीते दिनों में हुई है, लिफ्ट लगाने के क्या नियम हैं, ऐसे सवालों के जवाब न नगर निगम के पास हैं, न ही इलेक्ट्रिक सेफ्टी विभाग के पास।
मप्र में लिफ्ट एंड एलिवेशन एक्ट ही मौजूद नहीं है। शहर की करीब 12 हजार इमारतों में लिफ्ट का प्रयोग हो रहा है। गुजरात व महाराष्ट्र में लिफ्ट हादसे पर मेंटेनेंस कंपनी पर 3 माह की सजा व 50 हजार के जुर्माने का प्रावधान है। उधर, मुख्यमंत्री ने जांच के लिए तकनीकी समिति बनाने के आदेश दिए।
DNS लिफ्ट हादसा 3 सबसे बड़े सवाल
1. लिफ्ट की सेफ्टी जांच कब हुई? किसने चलाने की मंजूरी दी?
2. अगर लिफ्ट ओवर लोड हो गई थी तो चली कैसे, उसे बंद हो जाना था?
3. पूर्व सीएम की सुरक्षा में बड़ी चूक कैसे हुई? पहले जांच क्यों नहीं की?
नक्शे पास करते समय जरूरी सुरक्षा उपायों की जांच की जाती है। लिफ्ट को लेकर हमने कोई सीधी कार्रवाई नहीं की।
-विष्णु खरे, अधीक्षण यंत्री, नगर निगम
लिफ्ट में हमारा काम इलेक्ट्रिक से जुड़ा ही होता है। नगरीय प्रशासन विभाग लिफ्ट एक्ट पर काम कर रहा है।
- अनुराग श्रीवास्तव, इलेक्ट्रीक सेफ्टी इंजीनियर
महाराष्ट्र और गुजरात में ये सख्त नियम
इंजीनियर अतुल शेठ एवं लिफ्ट कंपनी इंजीनियर जयराज चौधरी ने बताया कि जांच होना चाहिए कि लिफ्ट कितनी पुरानी है, नई लिफ्ट में एआरडी (ऑटोमैटिक रेस्क्यू डिवाइस) एक्टिव रहता है, जो लिफ्ट गिरने नहीं देता। मजिस्ट्रियल जांच कर रहे एडीएम हिमांशु चंद्र
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