- एआरटीओ की पहल पर महिलाओं को दी ड्राइविंग की ट्रेनिंग, जल्द होगा प्लेसमेंट
ड्राइविंग के पेशे में अब महिलाएं भी आगे आ रही हैं। शहर की ऐसी 50 महिलाओं को गाड़ी चलाना सिखाया जा रहा है, जो भविष्य में ड्राइवर की नौकरी करना चाहती हैं। ये वे महिलाएं हैं, जिनकी लॉकडाउन के दौरान या तो नौकरी चली गई या ऑफिस बंद हो गया।
आईआईटी परिसर स्थित शासकीय ड्राइविंग स्कूल में परिवहन विभाग द्वारा इन्हें ट्रेनिंग दी जा रही है। जल्द ही प्लेसमेंट दिया जाएगा। महिलओं को आत्मनिर्भर बनाने की यह पहल एआरटीओ अर्चना मिश्रा ने की है। एक हादसे में पैर गंवा चुकी अर्चना चल नहीं पातीं। वे कहती हैं कि पहली बैच की ट्रेनिंग 14 फरवरी को पूरी हो जाएगी। कौशल विकास विभाग के सहयोग से डीटीआई द्वारा प्रशिक्षण दिया जा रहा है। इन्हें ई-रिक्शा के साथ जीप व कार चलाना सिखाया जा रहा है।
50 में से 15 महिलाएं अन्य जिलों से हैं, जो परिवार और अपने बच्चों को छोड़कर यहां ड्राइविंग सीखने आई हैं। यहां उन्हें सिर्फ गाड़ी चलाना ही नहीं सिखाया, बल्कि गाड़ी का प्रबंधन भी बताया। जैसे यदि गाड़ी पंक्चर हो जाए तो क्या करना है। इंदौर में 80 महिलाएं ई-रिक्शा चलाती है। अभी जीप व कार चलाना सीखा रहे है। वे चाहेंगी तो उन्हें हेवी व्हीकल चलाना भी सिखाया जाएगा। इन महिलाओं को रोजगार दिलवाने के लिए अर्चना कई कंपनियों से बात भी कर रही हैं।
डीलर्स एसोसिएशन के प्रवीण पटेल ने 7-8 महिलाओं को रोजगार दिलवाने के लिए सहमति दी है। मैकेनिकल इंजीनियरिंग कर चुकी भाग्यश्री को तत्काल प्लेसमेंट भी मिल गया। इस बारे में परिवहन आयुक्त मुकेश जैन कहते हैं कि महिलाओं की सुरक्षा तभी होगी, जब स्कूल बस,कंपनियों, लोकपरिवहन में महिला ड्राइवर्स की संख्या बढ़ाएंगे।
हमें काम चाहिए, भले ड्राइवर का क्यों न हो
भाग्यश्री ने मैकेनिकल इंजीनियरिंग किया है। वे बताती हैं कि लॉकडाउन से जॉब नहीं है। पता लगा कि महिलाओं को ड्राइविंग सिखाई जा रही है तो फार्म भर दिया। मुझे काम चाहिए, भले वह ड्राइवर का ही क्यों न हो। ममता पाल कहती हैं कि नया ऑफिस डाला था, तभी लॉकडाउन लगा। आर्थिक परेशानी आई। मैं ड्राइवर बनने को भी तैयार थी, लेकिन मुझे ड्राइविंग नहीं आती थी। अब जल्द ही नौकरी मिल जाएगी।
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