बायपास के दोनों कंट्रोल एरिया में नगर तथा ग्राम निवेश विभाग से ली गई ऐसी सभी मंजूरियां निरस्त की जाएंगी, जिन्होंने अनुमति लेने के दो साल बाद भी काम शुरू नहीं किया है। मांगलिया से राऊ सर्कल तक 70 से ज्यादा जमीन मालिकों ने नक्शे पास कराए हैं। कई निर्माण तो बायपास से एकदम सटकर कर लिए गए हैं। इन्हें भी हटाया जाएगा।
बायपास पर तेजी से बढ़ रही आवासीय व व्यावसायिक गतिविधियों को देखते हुए कलेक्टर मनीष सिंह ने प्रमुख सचिव नगरीय प्रशासन को पत्र भेजकर इसके दोनों ओर फोर-फोर लेन सर्विस रोड का प्रस्ताव भेजा है। इसके लिए मास्टर प्लान में संशोधन की बात कही गई है।
सर्विस रोड को फोरलेन में तब्दील करने के लिए सबसे पहले अनुमति पर रोक और दी गई अनुमतियों को वापस लेना बहुत जरूरी है। मास्टर प्लान में संशोधन नहीं होने और शासन स्तर पर इस मामले में फैसला नहीं होने तक टीएंडसीपी को बायपास के कंट्रोल एरिया (जो दोनों ओर 45-45 मीटर है) पर किसी तरह की मंजूरी जारी नहीं करने के लिए कहा है। साथ ही शासन से भी इस संबंध में आग्रह किया है कि वह टीएडंसीपी को औपचारिक आदेश जारी कर मंजूरियां जारी करने से रोके।
प्रस्ताव की रूपरेखा 8 जनवरी को ही तय हो गई थी
कलेक्टर सिंह ने कहा कि मुख्यमंत्री द्वारा 8 जनवरी को इंदौर विकास योजना के तहत ली गई बैठक में चर्चा की गई थी और प्रेजेंटेशन हुआ था। इसी आधार पर यह प्रस्ताव भेजा है। इससे राऊ से मांगलिया के बीच बायपास के दोनों ओर सर्विस रोड चौड़ी हो जाएगी और ट्रैफिक काफी सुगम हो जाएगा। जिनकी जमीन, निर्माण प्रभावित हो रहा है, उनके हित में भी रहेगा, क्योंकि उन्हें मिश्रित उपयोग की मंजूरी मिलेगी।
यह है प्रस्ताव- 45 मीटर में से 22.50 मीटर में सर्विस लेन होगी फोर लेन
प्रस्ताव के अनुसार बायपास के 60 मीटर चौड़े रोड के बाद दोनों ओर के 45-45 मीटर के कंट्रोल एरिया में से बायपास की ओर वाले कंट्रोल एरिया के आधे एरिया (यानी 22.50 मीटर) में फोर-फोर लेन का सर्विस रोड बनाया जाए और शेष बचे सर्विस रोड के बाद वाले 22.50 मीटर में मिश्रित उपयोग एफएआर को मान्य किया जाना उचित होगा।
निर्माण की मंजूरियां लीं, उनका होगा सत्यापन
बीते दिनों में जिला प्रशासन और टीएंडसीपी अधिकारियों की बैठक हो चुकी है, जिसमें मोटे तौर पर सामने आया कि कई लोगों ने यहां पर अन्य एक्टिविटी के नाम पर कई नियमों को ताक पर रखकर मंजूरियां लीं और मौके पर अलग निर्माण किया। बीते दो-तीन सालों में जिन्होंने भी कंट्रोल एरिया में निर्माण की मंजूरियां ली हैं, उनका भौतिक सत्यापन होगा।
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