- सड़कों पर आधा किमी का सफर आधे घंटे में पूरा होता है
ट्रैफिक सुगम हो, इसके लिए सड़कों के दोनों ओर मकान, दुकान तोड़कर इन्हें 80 फीट चौड़ा किया गया, लेकिन पुलिस और नगर निगम की अनदेखी से सड़कों पर इतना अतिक्रमण हो गया कि 80 फीट सड़कों पर चलने के लिए बमुश्किल 15 फीट जगह ही बची। दुकानदारों, ठेलों, फुटकर विक्रेताओं और अवैध पार्किंग वालों ने दोनों तरफ 30-30 फीट कब्जा जमा रखा है। हालत इतनी खराब है कि इन सड़कों पर आधा किमी का सफर आधे घंटे में पूरा होता है।
रसोमा से मेदांता हॉस्पिटल
चौराहे पर अतिक्रमण से बनता है बॉटल नैक, सड़क पर ही पार्किंग
- अतिक्रमण के चलते सड़क पर आधी लेन में ट्रैफिक चलता है। इससे पूरे समय जाम रहता है।
- रसोमा चौराहे की इंजीनियरिंग बिगड़ी होने से मेदांता हॉस्पिटल के चौराहे वाले पॉइंट पर अतिक्रमण के कारण अकसर बॉटल नैक बनने से ट्रैफिक जाम होता है।
- इस मार्ग पर चौराहे का कोई पॉइंट नहीं है, इसलिए वाहन चालक आधे चौराहे पर आकर रुकते हैं और विजय नगर से पलासिया जाने वाले मार्ग के ट्रैफिक को बाधित करते हैं।
- इस मार्ग पर मेदांता हॉस्पिटल और उसकी लाइन में दर्जनों कमर्शियल दुकानें और संस्थान हैं, जिन्होंने फुटपाथ की पार्किंग पर कब्जा कर रखा है। कार्रवाई भी नहीं होती।
- रोड किनारे गुमटी, ठेले वालों पर निगम कार्रवाई नहीं करता। इससे रोड पर कम जगह रहती है।
कनाड़िया रोड: फुटपाथ पर ही खड़े होते हैं वाहन, एक लेन फल-सब्जी वालों ने घेरी
- साकेत कॉर्नर से बंगाली चौराहा जाने वाले मार्ग पर दो स्थानों पर बॉटल नैक बनता है। एक सड़क की शुरुआत में टर्न पर और दूसरा सड़क के बीच बने धर्मस्थल के कारण। इस कारण यहां रोज जाम लगता है।
- इस सड़क के दोनों ओर के फुटपाथ दुकानदारों के कब्जे में है। बची कसर दुकानों पर जाने वाले ग्राहक सड़क की एक लेन पर अपनी गाड़ियां खड़ी कर पूरी कर देते हैं।
- इसी मार्ग पर शाम होते ही सब्जी, फल वाले एक लेन घेरकर बैठ जाते हैं।
- बंगाली चौराहे पर ब्रिज निर्माण के चलते चौराहे से कनाड़िया बायपास जाने के लिए सिंधिया प्रतिमा से भी यू टर्न लेना पड़ता है।
- रिंग रोड से बायपास और बायपास से रिंग रोड आने वाले कनाड़िया बायपास के मार्ग के दोनों लेफ्ट टर्न ही नहीं दिखते।
सीधी बात: एसके उपाध्याय, ट्रैफिक डीएसपी
रसोमा से मेदांता हॉस्पिटल और साकेत कॉर्नर से कनाड़िया बायपास तक अतिक्रमण है। पुलिस कार्रवाई क्यों नहीं करती?
- ट्रैफिक पुलिस की क्रेन चलती है लेकिन समस्या का पूरी तरह से हल नहीं निकलता। अतिक्रमण हटाने के लिए निगम को कई बार पत्र लिखे, लेकिन उनकी कार्रवाई एक या दो बार होती है फिर महीनों ध्यान नहीं देते हैं।
ट्रैफिक पुलिस और निगम अफसरों की जो जिम्मेदारी होना चाहिए, वह नजर नहीं आती। परेशानी आखिर कहां है?
- यहां निगम अधिकारी और पुलिस अधिकारियों की संयुक्त मुहिम सप्ताह में तीन बार चलाने की जरूरत है। निगम के अतिक्रमण विरोधी दस्ते की कार्रवाई हो तो पुलिस पूरा सहयोग करेगी। इसी से समस्या दूर होगी।
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